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बुढ़ापा___अकेलापन या सुकून __ उर्मिला मोरे

क्या आपको लगता है बुढ़ापा अकेलेपन का दूसरा नाम है। क्योंकि इस समय दोस्त दूर हो जाते हैं ,परिवार अपनी जिम्मेदारियां में व्यस्त हो जाता है, जिंदगी एक खालीपन से भरने लग जाती है तो लिए इसके लिए आइए इसके सकारात्मक पहलुओं पर चर्चा करें। बुढ़ापा जिंदगी का एक पड़ाव है ,यही वह समय है जिसमें इंसान खुद को बेहतर तरीके से समझ सकता है अपने सारे दबे हुए शौक पूरे कर सकता है ।जिस अकेलेपन को हम कमजोरी मानते हैं वह आत्म चिंतन और आत्म विकास का अवसर है समाज में यह धारणा है की बढ़ती उम्र के साथ इंसान का दायरा सिमट जाता है ।हकीकत यह है कि यह जीवन का वह चरण है जिसमें इंसान खुद को एक नई दिशा दे सकता है और अपनी रुचि से जी सकता है ।खुशी बाहरी चीजों पर नहीं बल्कि इसमें है कि हम अपनी छिपी भी ऊर्जा को कैसे सकारात्मक इस्तेमाल कर सकते हैं। क्या बुढ़ापा अकेलेपन का दूसरा नाम है या यह जिंदगी का सबसे खूबसूरत समय है असल में यही वह दौर है जिसमें इंसान को अपने आप को खोजना है क्योंकि इसी दौर में इंसान कुछ हद तक दुनियादारी से मुक्त हो जाता है । समाज से बचपन से ही यह सुनते आए हैं कि बुढ़ापा एक डरावना दौर है जबकि हकीकत यह है कि जिंदगी की हर दौर की एक खूबसूरती होती है ।बुढ़ापा केवल सफेद बाल और झुर्रियों से भरा हुआ चेहरा नहीं हैबल्कि एक अनुभवों के ज्ञान से भरा पिटारा है इस दौर में अपनी जिंदगी के उन पलों का आनंद ले सकते हैं जो इससे पहले मिला ही नहीं।इस दौर में नई नई चीजें सीखे,क्योंकि सीखने की कोई उम्र नहीं होती है ।नई किताबें पढ़ें जो आपको आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करे।नए दोस्त बनाएं सोशल ग्रुप में शामिल हो। एन.जी.ओ से जुड़े ।समाज की भलाई का काम करें । स्वास्थ्य का ध्यान रखें क्योंकि मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है। नियमित व्यायाम करें ,ध्यान करें और अपने दायरे से जुड़े रहे ।खुद को अलग-अलग ना करें ।नए लोगों से जुड़े। जो आपसे दूर हो गए हैं उनकी मजबूरी समझे, ।जो व्यक्ति खुद के साथ खुश रहना सीख ले , और खुद से प्यार करें तो दुनिया बहुत खूबसूरत लगने लगती है बुढ़ापा केवल उम्र बढ़ने का नाम नहीं है बल्कि एक नए सफर की शुरुआत है।इसी समय आप बिना किसी दबाव के हर क्षण का आनंद ले सकते हैं लेकिन सवाल उठता है।इसपड़ाव का आनंद कैसे लिया जाए ,कैसे इसे एक खुशनुमा दौर बनाया जाए सबसे पहले यह समझे जीवन अपने मुताबिक जीने की कोई उम्र नहीं है बचपन और जवानी में कई ऐसी इच्छा होती है जिन्हें हम समय की कमी के कारण पूरा नहीं कर पाए अब वह समय आ गया है जिन्हें आप पूरा कर सकते हैं चाहे कुछ आपको लिखने का शौक हो किसी ग्रुप से जुड़ने की इच्छा हो बागबानी का शौक है पेंटिंग का शौक हो या धार्मिक संस्थाओं में जाने की इच्छा हो यह वह समय है जब आप अपनी लंबी हुई इच्छाएं पूरी कर सकते हैं नये नये हुनर सीखें । इससे दिल खुश रहता है दिमाग सक्रिय रहताहै। एक नई ऊर्जा मिलती है अपने बच्चो को अपने अनुभवों का खजाना बांटिए इससे समाज ,परिवार में आपकी इज्जत बढ़ेगी ।लोगों को आपसे प्रेरणा मिलेगी। हर सुबह एक नए लक्ष्य के साथ शुरू करिए ।उन लक्ष्यों को पूरा करिए ।जरूरी नहीं कि हर लक्ष्य बड़ा हो। छोटे-छोटे लक्ष्य भी निर्धारित कर सकते हैं । किसी पुराने दोस्त को फोन करें पुरानी यादें साझा करते वक्त खूब दिन खोलकर हंसिये अतीत की कड़वी यादों से मुक्त रहिए ,वर्तमान को बेहतर बनाने की कोशिश कीजिए जो आपके साथ हैं उनके साथ खुलकर आनंद से जीए। प्रकृति के परिवर्तन को स्वीकारे ।अपने आप को आत्मनिर्भर बनाएं । अपने आप को खोजिए और पूरी शिद्दत से जिए ।

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