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देश द्रोही की बेटी – 6.–उपन्याकार पुष्पा भाटी की कलम से

 

हो जायेंगे। (ब्रिगेडियर अभिषक बहुत समय तक अपना मुंह बंद नहीं रख सका।) उसने बीच में बात को टोकते हुए कहा। बिना कुछ समझे अनजाने में पूछा। क्या बात है मि. हितेष क्या आप अपनी बेटी के हाथ रंगना चाहते हो। हा मैं उसके लिए ऐसा दामाद चाहता हूं जो मेरे कारोबार के देखरेख कर सके।

यानी आप अपनी बेटी के लिए घर दामाद चाहते हो? जो सिन्दूर के रुख पर आपकी जिन्दगी भर गुलामी करता रहे। उसने वितृष्णा भरे शब्दों में कहा- यानी बेटी की शादी भी आप एक धन के लोभी इन्सान से करना चाहते हो? काश। आप यह जान पाते कि इज्जत की कीमत दौलत से भारी पड़ती है।

ये सब दुनिया की बातें हैं। और इनका व्यक्तिगत जीवन में कोई महत्त्व नहीं होता ब्रिगेडियर साहब। यह भिक्षावृत्ति इन्सान का भावी जाल है। इनसे न तो प्रसन्नचित्त हुआ हूं न ही हैरान हूं।

हिना ने मि. हितेष को टोकते हुए कहा- डैडी आप मिस्टर अभिषेक की बातों को गर्वपूर्ण सुनकर उस पर जरा विचार कीजिये। मि. हितेष ने कहा। हिना तुम एक भिखारे को गले का हार बनाना चाहती हो। मेरी बेटी तुझे वो क्या खुशी दे पायेगा जो फुटपाथ पर अपनी जिन्दगी की सांसें काट रहा हो? जिसकी जवानी की मर्दानगी की प्यास की आस उसकी तडपती लाश में तब्दील होने वाली हो। जो कुछ जख्म उसके जहन में तूने भरे। उनपे इज्जत की मरहम लगा सकती हूं अब्बाजान। दौलत की दुनिया से मुझे आज भी नफरत है, क्योंकि वो हर इन्सान को सच्चाई के मार्ग से विमुख की ओर ले जाती है।

कभी बहार देखी हो तो फूलों की बात करो। आप क्यों बड़ाई जता रहे हो। कभी गरीबों की इज्जत को उनके हाथों से लुटवाते देखा हो तो बात करो। यों क्योंकि डिंग हांक रहे हो। यह सब हकीकत समझो बेटी। मैं आपकी मैरिज आपकी पसंद के अनुसार कर सकता हूं। लेकिन खुद कांटों की बगियां सजा रही हो। मुझ बेबस पिता को भी उन कांटों की शाखाएं चुभा रही हो।……..
एक फादर होने के नाते मैं अपनी (हुलियां को सम्भाले हुए) आपकी बात को मान लेता हूं।
शादी के लिए पिता की स्वीकृति का होना एक कहावत है, मि. हितेष खैर फूलों को माला में पिरोना जरूरी नहीं होता माली का होना।

मैं चाहूंगा मेरी भावी पत्नी को कोई भी आंच ने आये।

मेरी एक शर्त मानोगे मि. अभिषेक।

क्या?
शादी के बाद अंग्रेजों का साथ दोगे।
क्या मैं ऐसा करके पवित्र हो जाऊंगा,
यश। उतनी जल्दी जिन्दगी के जुये से बच पाओगे, जो तुम्हारी जिन्दगी का सिंह बनकर तुम्हें डकार लेना चाहते हैं तुम्हे इस बात का क्या सबूत है आपके पास कि मेरी जिन्दगी….. continues

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