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आत्मनिरीक्षण — बबिता शर्मा

 

चलिए आज कहीं दूर की सैर न करके अपना ही अवलोकन करते है ।हम कहते है कि आज की पीढ़ी संस्कारी नहीं ,उन्हें तो बड़ों का सम्मान ही नहीं है हम उन्हें बहुत कुछ सीखना चाहते है और फिर ये कहकर ताल देते है कि वो कुछ सीखना ही नहीं चाहते । ऐसा नहीं है …..! जब तक हम अपनी जीवन शैली में परिवर्तन नहीं करेंगे तब तक कोई सुधार निश्चित नहीं है।

हम अक्सर नई पीढ़ी को दोष देते है लेकिन अपने अंतर्मन और आचरण का कभी अवलोकन नहीं करते ।हम स्वयं समय का सदुपयोग नहीं करते और न ही नई पीढ़ी को समझने की कोशिश करते है । बस यह कहकर टाल देते है कि ……समय ही ऐसा आ गया … और अपने सिर से बोझ हटा देते है ।

कभी उसकी तह तक पहुंचने की कोशिश नहीं करते कि इसके पीछे क्या कारण है। …..कारण है बच्चों का एकाकीपन और इस रिक्त स्थान का कारण कोई और नहीं हम स्वयं इसके जिम्मेदार है । हम कभी भी बच्चों को पूरा समय नहीं देते ताकि एक दूसरे को समझा जा सके …. सोचिए ना फिर बच्चा तो दूसरे गलत रास्ते पर अपने आप ही बढ़ेगा.. उसे किसी ने नहीं कहा जन्म मिला तो रिक्त स्थान के कारण …ओर वो किसने बनाया हमने स्वयं ।
यही कारण है कि हमें अपना भी अवलोकन करना होगा उन तथ्यों को जानना होगा जो इन सबकी उत्पत्ति का मिल कारण है ।हमे सुधारना स्वयं को है ना कि आने वाली पीढ़ी को ।

जब हमारी दिनचर्या साफ और स्वच्छ होगी तो स्वच्छ वातावरण अपने आप निर्मित हो जाएगा ।
आजकल स्वयं के आचरण को तो हम सुधार नहीं पा रहे तो नई पीढ़ी को कैसे सुधरेंगे ।

अच्छा होगा कि हम स्वयं का सुधरा हुआ रूप ही बच्चों के सामने प्रस्तुत करें भविष्य तो स्वयं ही सुंदर हो जाएगा।

बबिता शर्मा

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