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मोक्ष प्राप्ति का मार्ग — बिमला रावत

 

मनुष्य जन्म -मरण के बंधन से मुक्त होकर मोक्ष चाहता है लेकिन मोक्ष की प्राप्ति के मार्ग से अनभिज्ञ होने के कारण संसार में पुनः जन्म लेता है l
मोक्ष प्राप्ति का मार्ग अत्यंत कठिन है, यदि मनुष्य जन्म मरण के बंधन से छूटना चाहता है तो उसे सर्वप्रथम सत्संग का मार्ग अपनाना होगा क्योंकि “सत्संग से वैराग्य, वैराग्य से भ्रम का नाश, भ्रमनाश से स्थिरता और स्थिरता से जीवन मुक्त हो जाता है l”
कर्मयोग, भक्तियोग और ध्यानयोग के द्वारा जब ज्ञान के मार्ग की सारी बाधायें दूर कर दी जाती हैं और आत्मविश्वास के मार्ग पर चलने में सफलता प्राप्त होती है तब आत्म तत्व का ज्ञान उसी प्रकार उदित होता है जिस प्रकार रात के बीतने पर सूर्य का l आत्मतत्व के ज्ञान के उदय की तुलना सूर्योदय से करना सर्वथा उचित है क्योंकि जिस प्रकार सूर्य का वास्तव में उदय नहीं होता बल्कि उसके परिलक्षित न होने की बाधा रात्रि समाप्त हो जाती है, ठीक उसी प्रकार, जिस क्षण ज्ञान द्वारा अज्ञान का नाश हो जाता है और आत्मा स्वतः प्रकाशित हो उठती है l यही स्तिथि मोक्ष कहलाती है l जिस क्षण जीव ज्ञान द्वारा इस सत्य का बोध प्राप्त करता है और अज्ञानता का नाश करता है, उस क्षण ज्ञान द्वारा मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है l

बिमला रावत (ऋषिकेश )
उत्तराखण्ड

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