रामायण की कथा भजन के माध्यम से मेरे शब्दों में -5 — रूपल दवे “रूप

जनकपुर उत्सव है भारी,
जनकपुर उत्सव है भारी,
अपने वर का चयन करेगी सीता सुकुमारी,
जनकपुर उत्सव है भारी।।
यहां कहा गया है कि जनकपुर में बहुत ही बड़ा उत्सव है आज सीता सुकुमारी अपने वर को चुनेंगी। इसलिए जनकपुर में सीता स्वयंवर का बहुत बड़ा उत्सव है।
जनक राज का कठिन प्रण,
सुनो सुनो सब कोई,
जो तोड़े शिव धनुष को,
सो सीता पति होई।
यहां कहा गया है कि जनक राजा ने कठिन प्रण यानी प्रतिज्ञा की है फिर कहा है की सुनो सुनो सभी लोग जो इस शिव धनुष को तोड़ देगा वही सीता का पति होगा।
को तोरी शिव धनुष कठोर,
सबकी दृष्टि राम की ओर,
राम विनय गुण के अवतार,
गुरुवर की आज्ञा सिरधार,
सहज भाव से शिव धनु तोड़ा,
जनकसुता संग नाता जोड़ा।
उस के बाद कहा गया है कि कोन इस कठोर शिव धनुष को तोड़ेगा, तब सभी की दृष्टि राम की और थी।राम विनय और गुण के अवतार है गुरुवर की आज्ञा सिरधार यानी मान के सहज भाव से शिव धनुष को तोड़ दिया और जनक नंदिनी सीता के संग नाता जोड़ लिया।
रघुवर जैसा और ना कोई,
सीता की समता नही होई,
दोउ करें पराजित,
कांति कोटि रति काम की,
हम कथा सुनाते राम सकल गुणधाम की,
ये रामायण है पुण्य कथा श्री राम की,
ये रामायण है पुण्य कथा श्री राम की।।
तत्पश्चात कहा गया है की रघुवर जैसे और कोई नहीं है और सीताजी की किसी के साथ बराबरी नहीं की जा सकती और आगे कहा गया है दोनो करे पराजित कांति कोटि रति काम की यानी सुंदर शाश्वत जोड़ी है राम और सिया की। ये रामायण नामक पुण्य कथा है जो प्रभु श्री राम जी की है।
रूपल दवे “रूप”