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आलेख- विकास करना खल गया — सपना बबेले

 

दोस्तों आजकल का दौर कुछ अजीब हो गया है। सबने सुना है कि हम अच्छे तो जग अच्छा। लेकिन इस विचार को लेकर मैं पूर्ण रुपेण सहमत नहीं हो पाई।
आपसी मन मुटाव का कारण मुख्य रुप से जब जन्म लेता है जब एक दूसरे से ईष्र्या भाव होता है।
जैसे आप अपने कर्तव्य का पालन करते हुए , मेहनत करके अपने परिवार का संचालन संस्कार के साथ करते हैं और हम किसी से भी ईर्ष्या नहीं करते ,और ना ही किसी का कभी बुरा सोचते हैं।
और ईश्वर की कृपा से बच्चे भी अच्छे हैं।सब तरफ से सुकून भरी जिंदगी हो गई है।शायद मेहनत का फल है।
तब किसी अपने के द्वारा बुराई का सिलसिला शुरू हो जाता है।
जिसकी सफाई देना भी जरूरी है,और कुछ खास रिश्ते आपके बारे में जलन के कारण आपकी बुराई करना शुरू कर देते हैं।तब आप क्या करेंगे।दुखी हो जाएंगे, दूर हो जाएंगे। फिर भी अपनों के ही बारे में चिंता करेंगे।
कहीं पढ़ा था कि अगर आपके आसपास के लोग आपकी बुराई करते हैं तो समझ लीजिए आप विकास कर रहे हैं।
ये तो हुई मन समझाने की बातें। रिश्तों को जितना संभाल कर रखा जाता है, वक्त के साथ उतनी ही दूरियां।ये कैसा अजीब व्यवहार है।
समझ से परे है।और जो बात समझ में न आए,उसे भगवान पर छोड़ देते हैं।और ईश्वर से प्रार्थना करते हैं हे प्रभु लोगों को सद्बुद्धि दो।जिससे वे किसी को परेशान और दुखी करना बंद कर दें।
फिर भी अफसोस कि जिनके लिए जीवन में सुख ही देने की कोशिश की,आज वे कितने बदल गए। मेरी क्या ग़लती है क्या विकास करना ही सबसे बड़ी वजह है।

सपना बबेले

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