पौराणिक जीव — आरती ‘आरज़ू’

हम में से अधिकतर लोगों ने अपने जीवनकाल में ड्रैगन, यूनिकॉर्न, जलपरियों और हिममानव या बिगफ़ूट के बारे में फ़िल्मों में देखा या फिर कही पढ़ा या सुना ज़रूर होगा। ड्रैगन चाइनीज़ इतिहास की पुस्तकों का एक अभिन्न अंग है वहीं यूनिकॉर्न का ज़िक्र यूनानी किताबों में मिलता है। समुंदरों में पाई जाने वाली जलपरियों की कथाएँ पश्चिमी देशों में बहुत प्रचलित है। पुरातन कहानियों या फिर पौराणिक कथाओं का हिस्सा रहे है इन सभी प्रसिद्ध जीवों के अलावा ग्रिफ़िन, परियाँ, स्कोर्पियन किंग, एल्फ, मानवभेड़ियों समेत लगभग 200 जीव है जिनकी कहानियाँ विश्वभर में सुनाई जाती रही है। हर देश और जन-जाति का अपना इतिहास होता है और उन्हीं इतिहास के पन्नों से निकल कर आती है इन पौराणिक जीवों की कहानियाँ। यह तो हुई विश्व भर के पौराणिक जीवों की बात लेकिन क्या आप जानते है हमारे भारतीय पौराणिक जीवों के बारे में???
एक जानकारी के अनुसार श्री हरि विष्णु ने 24 अवतार लिए जिनमें से कुछ जीवअवतार भी थे, इन
जीवअवतारों के अलावा भी और बहुत से पौराणिक जीव हुए। जिनमें से “ऐरावत हाथी, शेषनाग, कामधेनु गाय, नरसिंह, वराह अवतार, मत्स्य अवतार, कूर्म अवतार”- इन सभी पौराणिक जीवों की कहानियाँ तो आप सभी ने शायद सुनी ही होंगी। लेकिन आज चलते है उन पौराणिक जीवों की खोज में जिनकी चर्चा बहुत कम हुई या जिनकी कहानियाँ अनसुनी ही रह गई।
1. नवागुंजर
नवागुंजर अर्थात् नौ प्राणियों का एक रूप। इसका सर-मुर्गे का, गर्दन- मोर की, कूबड़- ऋषभ का, कमर- शेर की, पिछला बांया पैर- बाघ का, पिछला दायां पैर- अश्व का, अगला बांया पैर- हाथी का, अगला दायां पैर-मनुष्य का, पूँछ-सर्प की। नवगुंजर, भगवान विष्णु का ही अवतार माना जाता है। इस अद्भुत अवतार की कलाकृति पुरी जगन्नाथ मंदिर के नीलचक्र पर उकेरी गयी है। नवगुंजर अवतार का वर्णन उड़ीसा के महाभारत में मिलता है जिसकी रचना १५वीं शताब्दी में जन्में उड़ीसा के आदि कवि माने जाने वाले श्री सरला दास ने की है। एक कथा के अनुसार जंगल में शिकार करते समय अर्जुन की परीक्षा लेने के लिए भगवान कृष्ण ने यह रूप धारण किया था। जब अर्जुन ने इन्हे देखा तो वे इस विचित्र प्राणी को देख घबरा गए और उन्होंने गांडीव धारण किया लेकिन तभी उन्हें, प्राणी के हाथों में कमल का फूल दिखाई दिया। कमल के फूल को देखते ही वे समझ गए कि यह जीव साधारण नहीं है। अर्जुन ने जीव से अपने मूलरूप में आने की प्रार्थना करी तब श्रीकृष्ण ने उन्हें दर्शन दिए और बताया कि यह भी श्रीहरि के अवतारों में से एक रूप है। जिसे नौ अलग-अलग दिशाओं से देखने पर मनुष्य को अलग-अलग जीव दिखलाई देते है किन्तु वास्तव में वो एक ही प्राणी है। इसका अर्थ ये है कि किसी मनुष्य को देखने का दृष्टिकोण अलग-अलग मनुष्यों का भिन्न हो सकता है, किन्तु वास्तव में वो मनुष्य एक ही होता है बहुत सी विविधताओं के संग।
इसके अतिरिक्त उड़ीसा में खेले जाने वाले एक प्राचीन खेल “गंजपा” में भी नवगुंजर व अर्जुन एक पात्र के रूप में होते हैं।
2. तिमिलिंगा और मकर
वैदिक साहित्य में अक्सर तिमिंगिला और मकर का साथ-साथ जिक्र होता है। महाभारत के अनुसार तिमिंगिला और मकर दोनों ही गहरे समुद्र के जीव हैं। तिमिंगिला को एक राक्षसी शार्क के रूप में दर्शाया गया है। एक कथा के अनुसार भूख- प्यास से त्रस्त होकर, मकर और तिमिंलिगा ने मार्कण्डेय ऋषि पर हमला कर दिया था।
भगवद् गीता में श्रीकृष्ण कहते हैं, ‘शुद्धता में मैं हवा हूं, शस्त्रधारियों में मैं राम हूं। तैराकों के बीच मैं मकर हूं और नदियों में मैं गंगा हूँ’। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार मकर देवी गंगा और वरूण देव का वाहन है। परंपरागत रूप से मकर को एक जलीय प्राणी माना जाता है और कुछ पारंपरिक कथाओं में इसे मगरमच्छ से जोड़ा गया है। पारंपरिक रूप से मकर जल से संबंधित जीव है, वह जल जो अस्तित्व और प्रजनन का स्रोत है। ज्योतिष शास्त्र में, “मकर” बारह राशियों में से एक है।
याली
याली को एक संरक्षक प्राणी कहा जाता है जो कि शारीरिक और आध्यात्मिक दोनों रूप से मनुष्यों की रक्षा करता है। याली का सिर सिंह का, शरीर बिल्ली की तरह लचीला और सूँड़ हाथी के जैसी और पूँछ सर्प के समान है। याली को सबसे अधिक शक्तिशाली और विश्व पर आधिपत्य रखने वाला एक निडर जीव माना जाता है। कही-कही इसे व्याल भी कहा जाता है। दक्षिण भारत में मन्दिरों की प्रवेश दीवारों पर याली के चित्र या प्रतीक पाए गए हैं और माना जाता है कि यह सुन्दर पौराणिक जीव मन्दिरों और मन्दिर की ओर जाने वाले रास्तों की सुरक्षा करता है। बहुत सी कलाकृतियों में याली को, पौराणिक जीव मकर की पीठ पर खड़ा भी दिखाया गया है।
वृत्र अहि
हिंदू पौराणिक कथाओं में एक ड्रैगन है वृत्र अहि। इसे दुर्भाग्य का प्रतीक माना जाता है। कहा जाता है कि एक बार वृत्र अहि राक्षस ने धरती का सारा पानी पी लिया और फिर पहाड़ी में जाकर छिप गया। जिसके बाद देवराज इंद्र ने ऐरावत हाथी की मदद से उस राक्षस को हरा कर फिर से पानी की आपूर्ति कराई थी।
इंद्रधनुष मछली
इंद्रधनुष मछली या रेनबो फिश को हिंदू धर्म में एक बड़े जलीय जीव जैसे कि व्हेल की तरह परिभाषित किया गया है। कुछ कथाओं में वर्णन मिलता है कि चार मुख्य रंगो वाली इस मछली की लाल परतें आग से बनी थीं और नीली परतें बर्फ से, इसकी हरी परतें घास से और इसकी पीली परतें बिजली से बनी थीं। कुछ पौराणिक कथाओं के अनुसार इस मछली ने बुद्ध को खा लिया था और बाद में कुछ मछुआरों ने इसे पकड़ कर बुद्ध को मुक्त कराया।
शरभा
कुछ किवदंतियों के अनुसार, असुरराज हिरण्यकश्यप को मारने के लिए जब श्री विष्णु ने नरसिंह (शेर-मानव) का अवतार लिया था तब हिरण्यकश्यप को मारने के पश्चात भी भगवान विष्णु का क्रोध शांत नहीं हो रहा था। उन्होंने हर तरफ़ तबाही मचानी शुरू कर दो तो सभी देवता ने उन्हें शांत करने के लिए भगवान शिव के पास जा केआर मदद माँगने लगे। जिसके बाद भगवान शिव ने नरभक्षी, विशाल और भयावह पक्षी का रूप धारण किया था जिसके शरीर का एक भाग शेर का था, दूसरा हिस्सा इंसान का और बाकी शरीर शरभ नाम के एक जानवर का था। शरभ अवतार के आठ पैर, दो पंख, चोंच, एक हजार भुजाएं, माथे पर जटा और चंद्र थे। शरभा अवतार लेने के बाद भगवान शिव ने भगवान नरसिंह से शांत होने की प्रार्थना की, लेकिन वे शांत नहीं हुए तो शरभा ने नरसिम्ह को अपनी पूंछ में लपेट लिया और उड़ गए। बहुत देर के युद्ध के बाद नरसिंह पराजित हुए और उनका गुस्सा शांत हुआ। इसके बाद भगवान नरसिंह ने शरभा अवतार से क्षमा मांगी।
अंत में एक सवाल जैसे की चाइनीज़ संस्कृति का पौराणिक जीव ड्रैगन है वैसे ही भारत में कुछ लोगो का मत है कि याली भारत का पौराणिक जीव है जबकि कुछ लोगो का मानना है कि नवगुंजरा भारतीय संस्कृति का पौराणिक जीव है। आपकी समझ से भारतीय संस्कृति का प्रतीक पौराणिक जीव किसे मानना चाहिए??
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आरती ‘आरज़ू’