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संस्मरण –  रेंगती मानवता –महेश तंवर

संस्मरण –  रेंगती मानवता –महेश तंवर

जेष्ठ माह की सुबह के करीब 9:00 बजे होंगे। सूर्य देव तेज गर्मी के साथ आगे बढ़ रहा था। इसी प्रकार दैनिक कार्य करने वाले लोग भी अपने-अपने काम पर जा रहे थे। इसी भीड़ में मैं भी दो बच्चियों को लाइब्रेरी छोड़ने जयराम पुरा चला गया। जो राजस्थान के जयपुर जिले में स्थित है।वापस आते वक्त विचार आया कि क्यों न एक सीमेंट का कट्टा ले चलें । खेत पर पानी के होद की मरम्मत का काम चल रहा था। दोनों बालिकाओं को लाइब्रेरी छोड़कर सीमेंट की दुकान पर चला गया और सीमेंट का कट्टा ले लिया। सीमेंट डीलर से पहले ही बोल दिया था की रास्ता थोड़ा खराब है। अच्छी तरह से जमा देना। बेचारा डीलर्स भी क्या करें। वह अपनी ओर से तो ठीक ही रखा था। डीलर्स को सीमेंट के दाम दे कर मैं वहां से खेत के लिए चल दिया।
मैं करीब आधा मील चला था । अचानक रास्ते में सीमेंट का कट्टा गिर गया ।मोटरसाइकिल को एक तरफ खड़ी किया और सीमेंट के कट्टे को उठाने के लिए करीब 20 मिनट तक आने जाने वालों से निवेदन करता रहा।लेकिन सीमेंट को देखकर कोई भी मेरी सहायता करने के लिए तैयार नहीं था। अब मैं किंकर्तव्यविमूढ़ हो गया। मैं नजदीक एक घर की तरफ बार-बार देख रहा था कि कोई पुरुष घर से बाहर आए तो मैं उसे सहायता के लिए कहूं। करीब दो-तीन मिनट बाद ही पुरुष तो कोई दिखाई नहीं दिया लेकिन एक बालिका दिखाई दी। अब उस बालिका को सहायता के लिए कहने की मेरी हिम्मत नहीं थी। क्योंकि रास्ते में इतने पुरुष निकल रहे थे, वे मेरी सहायता करने के लिए तैयार नहीं थे। ऐसे में उस बालिका को भला सहायता के लिए कैसे कह सकता हूं।
बालिका समझदार थी।वह मेरी उदासी और मेरी भावना को समझ गई थी। वह क्षण भर में मेरे चेहरे को निहारती हुई घर के अंदर जाकर अपने भाई से आवाज लगाती है कि भैया बाहर एक अंकल जी खड़े हैं ,उनकी सहायता कर दो। बालिका के कहने पर उसका भाई घर से बाहर आकर मेरे से कहता है कि अंकल जी लो यह कट्टा मैं रखवाता हूं। मैं उस बच्चे को बहुत-बहुत धन्यवाद दिया और कहा कि बेटे तूने मानवता को बचा लिया। आपने और आपकी बहन बालिका में उत्तम संस्कार थे, जो मेरी भावना को समझ के मेरी सहायता करने के लिए तैयार हुए। वरना इस रास्ते पर करीब 50-60 व्यक्ति निकल गए। कोई भी मेरी सहायता करने के लिए तैयार नहीं हुआ। यदि आप जैसे सभी हो जाएं तो यह “रेंगती मानवता” बच सकती है।

महेश तंवर सोहन पुरा
नीमकाथाना (राजस्थान)

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