त्यौहार लाते हैं जीवन में बहार — अलका गर्ग

हमारे देश में लगभग पूरे वर्ष ही त्यौहार मनाये जाते हैं।भिन्न भिन्न धर्म और जाति के त्यौहार पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ मनाए जाते है।एक त्यौहार से निवृत होते ही हम दूसरे की तैयारियों में जुट जाते हैं और बेसब्री से उसका का इंतज़ार करने लगते हैं।हमारे लिए हर त्यौहार एक उत्सव की तरह होता है।
हमारे त्यौहारों में पति पत्नी,
सास बहू, ननद भाभी,भाई बहन,माँ बेटा सभी रिश्तों को बड़ी ख़ूबसूरती से निभाया गया है।बड़ा आश्चर्य होता है अपने पूर्वजों की सूझ बूझ और ज्ञान पर….उन्होंने अपनी विद्वता और विज्ञान के द्वारा त्यौहारों की रचना करते समय जीवन के किसी भी पहलू को अनदेखा नही किया।रिमझिम वर्षा,नई फसल,बदलती ऋतु, लाभकारी पशु,उपयोगी वृक्ष हरेक के महत्व को दर्शाने लिए कोई न कोई त्यौहार बनाया।
इसके अलावा सारे देवी देवताओं के आह्वान और विसर्जन के लिए भी एक एक ख़ास दिन तय करके उस दिन को हमारे लिए उत्सव बना दिया।
त्यौहारों का संदेश हमें एकता,
भाईचारा,सभी जाति धर्मों के प्रति सौहार्दपूर्ण रवैया रखना और आपसी मेल मिलाप बनाये रखना होता है।तभी तो ये हमें देश के विभिन्न प्रांतों की सभ्यता,धार्मिक रीति रिवाज़ और भौगोलिक स्थिति के बारे में भी बताते हैं।
हम दुर्गा पूजा,रथ यात्रा देखने पूर्व गए तो गणपति उत्सव देखने पश्चिम गए….होली दिवाली मनाने उत्तर गए तो पोंगल मनाने दक्षिण गए।
रोज़मर्रा की उबाऊ दिनचर्या में त्यौहारों का आगमन वरदान जैसा लगता है।थके मुरझाए तन मन को जीवंत कर देते हैं।लगता है मानो उजड़ी सूखी बगिया में बहार आ गई हो।
हम भाग्यशाली हैं कि हमारे देश में हर जाति हर धर्म को यथोचित सम्मान और महत्व दिया जाता है तभी हम इतने सारे उत्सव मना पाते हैं।
आज तेज़ रफ़्तार ज़िंदगी में कुछ तो समयाभाव के कारण और कुछ घर परिवार से दूर शहरों में अकेले रहने से अज्ञानता के कारण त्यौहारों का रूप कुछ बदलता जा रहा है….पर कोई बात नही त्यौहार मनाने का जोश और मस्ती तो दिन पर दिन बढ़ती जा रही है ।
अलका गर्ग, गुरुग्राम