विद्यालयों की खुली लूट — पृथ्वीराज लोधी

आज हमारे भारतवर्ष में सरकार ने शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्राइवेट स्तर पर विद्यालयों को खोलने की अनुमति प्रदान की जिससे हमारा देश शिक्षित और एक सुदृढ़ समाज की स्थापना हो सके और देश का युवा युक्तियां शिक्षित होकर ज्ञान बान हो सके अच्छाई और बुराई की पहचान कर सकें इस उद्देश्य से सरकार ने शिक्षा को बढ़ावा दिया जिससे काफी स्तर तक शिक्षा के माध्यम से अंधविश्वासों का भी सफाया हुआ है लेकिन इन सब की आड़ में सीबीएसई द्वारा जितने भी विद्यालयों को मान्यता दी गई है वे सभी विद्यालय भारी प्रकार से लूट मचा रहे हैं जबकि इन विद्यालयों में मंत्री डी एम आईजी सभी ऊंची रैंक केऑफिसर्स इन विद्यालयों में अपने बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए भेजते हैं लेकिन विद्यालयों द्वारा जो लूट मचाई जा रही है उस ओर किसी का ध्यान नहीं गया है प्रथम लूट विद्यालय में एडमिशन के लिए जब जाते हैं तब रजिस्ट्रेशन फॉर्म इस पेपर को विद्यालय प्रिंट करा कर₹800 से लेकर ₹1000 तक बेचता है उसके उपरांत आपके बच्चे का टेस्ट लिया जाएगा बच्चा फेल होता है कोई पैसा वापसी नहीं दिया जाता है दूसरी लूट जब विद्यालय में बच्चा टेस्ट प्राप्त कर लेता है और एडमिशन के लिए उसका नाम लिखा जाता है तब एडमिशन के नाम पर₹4000 से लेकर₹10000 नाम लिखे जाने के लिए अभिभावक से लिए जाते हैं तीसरी लूट वार्षिक चार्ज जो की एक एक छात्रा से तीन ₹3000 वसूले जाते हैं चौथी लूट परीक्षा शुल्क प्रत्येक विद्यार्थी से परीक्षा के लिए 3500 रुपए वार्षिक शुल्क लिया जाता है और पांच भी ल कोर्स और ड्रेस के लिए एक ही दुकान के लिए बाध्य करना और फिर वही कॉपियां रद्दी के रूप में बेचकर विद्यालय पुनः पैसा प्राप्त करता है और अपने यहां फोर्थ क्लास कर्मचारियों को ना के बराबर वेतन दिया जाता है मात्र पांच से ₹8000 प्रति माह जब की अध्यापकों को 20000,25000 30000 यहां तक की 40000 तक का वेतन दिया जाता है आखिर फोर्थ क्लास के साथ यह विद्यालय इतना सौतेला व्यवहार क्यों करते हैं क्या फोर्थ क्लास का परिवार नहीं है क्या फोर्थ क्लास की कोई इच्छा नहीं है क्या फोर्थ क्लास कोई अच्छा जीवन जीना नहीं चाहता है क्या फोर्थ क्लास अपने बच्चों को पढ़ाना नहीं चाहता है क्यों उनका खून पिया जाता है इतनी कमाई के बावजूद भी फोर्थ क्लास का वेतन बढ़ाने की उनकी इच्छा शक्ति नहीं जाती है जिससे फोर्थ क्लास भी आज के समय में काम से कम 20000 रुपए प्राप्त कर सके सरकार के टैक्स से बचने के लिए यह विद्यालय जमीन पर जमीन खरीदने हैं और बिल्डिंग पर बिल्डिंग बनाते हैं जिससे सरकार को यह दिखाया जा सके कि हमारे पास बच्चों की संख्या ज्यादा है इसलिए हमें क्लासरूम की और आवश्यकता है सही मायने पर अगर जांच पड़ताल कराई जाए तब आधा विद्यालय खाली दिखाई देगा मैं चाहता हूं कि सरकार ऐसे विद्यालयों की जांच पड़ताल कराकर कठोर कार्रवाई करें और फोर्थ क्लास तथा छात्रों के अभिभावकों के साथ न्याय किया जाए
रचनाकार पृथ्वीराज लोधी राजपूत
जिला रामपुर उत्तर प्रदेश