नौकरी का अर्थ और उत्पत्ति एक विश्लेषण — सीमा शुक्ला चांद

नौकरी एक महत्वपूर्ण निर्णायक सामाजिक और आर्थिक भाव विचार या अवधारणा है, जो मनुष्यों को आजीविका अर्जित करने और समाज के सामाजिक आर्थिक विकास में योगदान करने में सक्षम बनाती है। क्योंकि नौकरी जीवन की आधारभूत जरूरतों को पूरा करने का एक अति आवश्यक साधन है। भोजन, वस्त्र, निवास, शिक्षा सुविधाएं और स्वास्थ्य जैसी आवश्यकताओ को पूरा करने के लिए एक स्थायी और निश्चित धन के प्राप्ति का स्रोत अतिआवश्यक होता है, और नौकरी से मनुष्य को वही साधन संसाधन प्राप्त हो है। इसके अलावा, नौकरी व्यक्ति को सामाज में एक पहचान प्रदान करती है।
लगभग 11,000-12,000 साल पहले , दुनिया भर के मनुष्य यायावर, शिकार और संग्रह की स्थिति को छोड़कर स्थायी कृषक बन गए। सभी विद्वजनो के मत में यह सार्वभौमिक रूप से बहुत अच्छी बात मानी गई, लेकिन सच्चाई में इसके कुछ मिश्रित परिणाम थे। शुरुआती किसान अंततः जीविकापार्जन के लिए ही कार्य करते थे। बाद में इसे धन संक्रमण का मुख्य स्रोत माना लीया गया नौकरी शब्द की उत्पत्ति को लेकर काफी सारी विचारधाराओं को देखा जा सकता है जैसे:
एक विचारधारा के अनुसार नौकरी शब्द की जन्म फ़ारसी भाषा से हुआ है। यह शब्द “नौकरी” (نوکری) से लिया गया है, जिसका अर्थ है “निगरानी” या “पालना”. “सेवा” “रोजगार” “नौकरी” है । यह शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है: “नौ” (نو) जिसका अर्थ है “नवीन”, और “कार” (کار) जिसका अर्थ है “कार्य” या “काम”. इस प्रकार, “नौकरी” शब्द का अर्थ है “नवीन कार्य या काम प्रारंभ करना” या ” किसी नए रोज़गार में प्रवेश करना”.
दूसरी विचारधारा के अनुसार नौकरी शब्द उर्दू भाषा का शब्द है, जिसका सार है किसी के मातहत कार्य करना। स्वतंत्रता से पूर्व भारतीय मुग़लों के व अंग्रेजों के मातहत कार्य करने वाले दास या सेवक ही कहलाते थे । किंतु आम तौर पर नौकरी का व्यापक रूप में प्रयोग आधुनिक नौकर शब्द में ही निहित माना गया से । मंगोल शब्द नोकर से आया है।
वर्तमान परिपेक्ष्य में नौकरी का अर्थ है किसी व्यक्ति द्वारा किसी संस्था संगठन ढांचे या व्यक्ति के लिए किया जाने वाला कार्य, जिसके बदले में उसे तन्खवाह पगार वेतन या मजदूरी मिलती है। यह एक सामान्य नियमित रोजगार या कार्य का एक विशिष्ट तथा स्पष्ट भाग हो सकता है जिसे करने के लिए किसी व्यक्ति को कार्य पर नियुक्त किया जाता है।
“नौकरी” शब्द को और अधिक स्पष्ट रूप से समझने के लिए, इसे इस प्रकार से भी समझा जा सकता है:
नियोक्ता और कर्मचारी:
नौकरी में सामान्यतः एक नियोक्ता (जो काम प्रदान करता है) और एक कर्मचारी (जो कार्य करता है) के बीच का संबंध शामिल होता है।
निश्चित कार्य:
नौकरी में प्रायः एक स्पष्ट पद और सुव्यवस्थित नियमित नियम व कर्तव्य शामिल होते हैं।
वेतन मजदूरी पगार या तन्खवाह:
नौकरी करने वाले प्रत्येक कर्मचारी को उसके कार्य के बदले में वेतन पगार तन्खवाह या मजदूरी मिलती है।
स्थायी या अस्थायी:
नौकरी कई प्रकार की हो सकती है जैसे स्थायी या अस्थायी हो सकती है, जैसे कि पूर्णकालिक या अंशकालिक नौकरी। सरकारी नौकरी, निजी नौकरी, या स्व-नियोजित।
सीमा शुक्ला चांद