आज़ाद महफ़िल ने स्वतंत्रता दिवस पर व अपनी तीसरी वर्षगांठ मनाई।

जयपुर। आज़ाद महफ़िल ने अपनी तीसरी वर्षगांठ मनाई, जिसमें राकेश रायज़ादा मुख्य अतिथि के रूप में ऑस्ट्रेलिया से आए, प्रेम हंस जी विशिष्ट अतिथि के रूप में ऑस्ट्रेलिया से आए और अध्यक्षा पूनम ढिल्लन भी ऑस्ट्रेलिया से आईं। आशा हलधर मंच संचालिका और सत्यपाल सिंह कार्यक्रम संचालक थे, जबकि कुन्ती हरिराम मंच संस्थापिका और सकुन्तला सरूपरिया अध्यक्षा के सान्निध्य में यह कार्यक्रम आयोजित हुआ।
कार्यक्रम ऑनलाइन आयोजित किया गया था, जिसमें सत्यपाल ने माँ की आराधना की और जानदार, दमदार और शानदार संचालन करके सबको मोहित किया। उन्होंने रविन्द्र के लिए कविता भी पढ़ी। रविन्द्र ने “करो आंख नम ना पतझड़ का मौसम” और गजल “काधों कुचलने नित नए किरदार को ढोते हैं” प्रस्तुत की।
सुनिता त्रिपाठी ‘अजय ने “मीठी लागे रे मायड़” पढ़ी, जबकि रूपा कान्ति ने मधुर आवाज में “सुनो सजना” प्रस्तुत किया। कनक ने “ये बारिश का मौसम”, “गमले में उगे हुए लोग” और “सुनो जरा ओ पंडित जी तुम भी सुनो मुल्ला जी” कविताएं पढ़ीं। आशा ने कृष्ण पर “जीवन है तेरे हवाले ओ मुरलियां वाले” और “हर खुशी हो रविन्द्र के लिए” गाया।
सत्यपाल ने गजल “मैं किसी धुए के असर में था” और “वो जब मीला फन उठाकर मीला” प्रस्तुत की। अनिल माका ने “दिल बनके कभी सीने से लग जाता हूं” और रवि ने “मैं हर एक पल का सायर हूं” मधुर आवाज में गाया।
राकेश जी ने “हम स्वतंत्रता का पर्व 79 से मना रहे हैं” और “15 अगस्त का दिन कहता आज़ादी अभी अधूरी है” पढ़ा। प्रेमा जी की देशभक्ति से भरपूर कविताएं “जिने आत्मसम्मान है प्रणों से प्यारा उन्हें याद करती अब गंगा की धारा” और “उठो मात्रभूमी के सपूतो” ने सबको प्रभावित किया। पूर्णिमा नेताजी के परिवार से हैं और सभी की रचनाओं का समीक्षात्मक विश्लेषण किया गया।और पूर्णिमा की कविता माँ का कर्ज चुकाकर फर्ज मिटाकर चले गए – यह भावना सबके मन में घर कर गई।आजाद महफ़िल ने तिसरी वर्षगाँठ के साथ स्वतंत्रता दिवस मनाया और देशभक्ति से मंच सुसज्जित रहा
सुनिता त्रिपाठी’अजय जयपुर राजस्थान