Uncategorized

झोला / सुप्रसिद्ध कवियित्री व लेखिका कंचन वार्ष्णेय कशिश की कलम से

झोला / सुप्रसिद्ध कवियित्री व लेखिका कंचन वार्ष्णेय कशिश की कलम स

पहली बार जब आपको देखा
देखते ही मुझे आश्चर्य लगा ….!

आपका चेहरा आप की आँखें
बिल्कुल अलग थीं औरों से कुछ हट कर थी,
गज़ब का संतुलित व्यक्तित्व था
थोड़ा सा पेट भी निकला हुआ था ….
साथ में एक आपके झोला भी था…..

एक नशा एक जुनून आपकी आंखों में था
मैं कई बार आपको देखती रही कनकी निगाहों से
पर उस झोले की नज़र मेरी तरफ ही थी …
और हर बार वो घायल हो जा रहा था….

और आपका अपनापन लुभा रहा था
बहुत तेज बारिश आंधियो के साथ
चल रही थी बिजली भी कहीं कौंध रही थी
मानों मेरे दिल पर गिर रही थी…..

जैसे मेरी कविता
हिन्दी भाषा मे फेमस हो रही थी ..

बहुत कम ही लोग शायद जानते होगें
मैने आप की बातचीत से हिन्दी का सफ़र तय किया था
और लोगों ने मेरी कविताओं को काफी पसंद किया….
फिर आपने पढ़ा होगा मेरी रचनाओं को
उसमें अपनी भावनाओं को गढ़ा जरूर होगा……!

आप को बतला दूं मुझे
फेसबुक पर लिखने का कोई पैसा नही मिलता
मै सिर्फ अपने दिल की आवाज़ को
कागज़ पर उकेर लेती हूं
लेकिन मुझे पता है आपको सब रचनाएं अच्छी लगती हैं…..!!

कलम मेरे दिल की धडकन मेरी जान है
कलम के बिना मै कुछ नही …..
मै जिंदा तो हूं पर अपनी कविताओं में
ज्यादा खूबसूरत हूं अपनी रचनाओं में ….

कंचन वार्ष्णेय कशिश

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!