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श्रीमद्भागवत कथा में श्रीकृष्ण प्रिया उपाध्याय ने बुजुर्गावस्था पर दिया महत्वपूर्ण संदेश

श्रीमद्भागवत कथा में श्रीकृष्ण प्रिया उपाध्याय ने बुजुर्गावस्था पर दिया महत्वपूर्ण संदेश

वृंदावन धाम, मथुरा— श्रीमद्भागवत कथा के दौरान विख्यात कथा वाचक श्रीकृष्ण प्रिया उपाध्याय ने समाज को एक महत्वपूर्ण संदेश देते हुए बुजुर्गावस्था की वास्तविकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जीवन के अंतिम चरण में बच्चे अपने माता-पिता की सेवा में असमर्थ हो जाते हैं। इसलिए, जीवन के प्रत्येक क्षण को समझदारी से बिताना और समय रहते परमात्मा की भक्ति में लीन हो जाना आवश्यक है।

उपाध्याय जी ने कहा, “जब तक आप शारीरिक रूप से सक्षम हैं, तब तक ही समाज और परिवार आपके साथ रहता है। समय के साथ हालात बदलते हैं और बुढ़ापे में कोई आपकी बात सुनने वाला नहीं होता। इसलिए, जीवन को व्यर्थ न गवाएं, जो भी करना है, वह अभी कर लें और परमात्मा को पहचानें।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पशु-पक्षी भी अपने जीवन के कार्य करते हैं, लेकिन वे भगवान की भक्ति नहीं कर सकते, जबकि मनुष्य इस अमूल्य अवसर को पाकर भी इसे गंवा देता है।

कथा के दौरान उपाध्याय जी ने नवदा भक्ति के महत्त्व पर भी प्रकाश डाला और इसके विभिन्न स्वरूपों का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने माता सती और महादेव के संवाद के साथ राजा दक्ष की कथा सुनाई, जिसमें भक्ति के महत्व और परमात्मा की आराधना का विशेष संदेश दिया गया।

इस संगीतमय कथा का आयोजन महादेव नगर मंदिर प्रांगण में हो रहा है, जहाँ बड़ी संख्या में भक्तजन उपस्थित थे। कार्यक्रम में केसरी नंदन भक्त परिवार के संस्थापक, हबे सिंह यादव ने माइक और ध्वनि व्यवस्था की जिम्मेदारी संभाली।

श्रीमद्भागवत कथा के इस विशेष आयोजन ने उपस्थित जनसमूह को भक्ति, सेवा और जीवन के वास्तविक अर्थ की दिशा में प्रेरित किया।

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