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अपनी धुन में रहो , अपने मन की करो// एडवोकेट व लेखक पवन मल्होत्रा की कलम से

अपनी धुन में रहो , अपने मन की करो
कौन क्या सोचता हैं तुम्हारे लिए , इसकी परवाह क्यूँ करते हो..
तुम खुद ही एक शख़्सियत हो , फिर किस बात से डरते हो….
मुँह पर मीठा, पीठ पीछे विष उगलना जिनका हरदम काम है…
जलता रहने दो जिसने जलना है , माचिस तो यूँ ही बदनाम है..
तुम अपनी धुन में रहो, अपने मन की करो..

वो साजिश करते रहेंगे, तुम उनसे अलग-थलग रहो….
दे मुँह पर कड़े जवाब तुम, नया नया बस लिखते रहो….
दूसरों के बारे में ज्यादा सोच, खा जाते हो अक्सर धोखा…
कोई क्या कहता तुम्हारे लिए इसकी परवाह मत किया करो…
तुम अपनी धुन में रहो, अपने मन की करो…..

चुप रहोगे तो कहेंगे घमंडी , खुश रहोगे तो होंगे खफा खफा.. मंजिल की तरफ बढ़ते रहो तुम कर ऐसे लोगों को दफा दफा..
सत्य को सत्य कहने में सहना पड़ता है पता नहीं क्या क्या….
ये बात उनसे सीखो तुम जो सत्य के लिए देते हैं सर्वस्व लुटा..
तुम अपनी धुन में रहो, अपने मन की करो….

पवन मल्होत्रा एडवोकेट

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