भगवान की “बैंक” में खाता खुलवाएंगे सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी मिलेगा “पुण्य”का ब्याज
पंच कुंडीय गायत्री महायज्ञ में सेवानिवृत्त बैंक कर्मियों ने लिया संकल्प
जयपुर। गायत्री शक्तिपीठ ब्रह्मपुरी और गायत्री चेतना केन्द्र रामेश्वरधाम मुरलीपुरा की ओर से रविवार को मुरलीपुरा के रामेश्वरधाम कॉलोनी स्थित गौड़ विप्र समाज भवन में पंच कुंडीय गायत्री महायज्ञ का आयोजन किया गया। कई पारियों में सौ से अधिक श्रद्धालुओं ने यज्ञ भगवान को विश्व कल्याण की कामना के साथ आहुतियां प्रदान की। भारत विकास परिषद विजयनगर(मुरलीपुरा) के अध्यक्ष महेश मित्तल, सचिव श्याम सुंदर गुप्ता ने प्रारंभ में कलश, गणपति, गौरी, नवग्रह, मां गायत्री सहित अन्य देवी-देवताओं का पूजन किया। अग्नि प्रज्जवलन के बाद गायत्री एवं महामृत्युजंय महामंत्र से आहुतियां प्रदान की। गौ माता को राष्ट्र माता बनाने और देश को विकसित बनाने की कामना के साथ विशेष आहुतियां प्रदान की गई। यज्ञ के समापन पर बैंक सेवा से सेवानिवृत्त हुए अधिकारियों ने अधिक से अधिक समय समाजसेवा में देने का संकल्प लिया। बैंक अधिकारी लोगों को भारतीय संस्कृति के अनुसार जन्मदिन और विवाह दिवस मनाने के लिए लोगों को प्रेरित करेंगे। बैंकिंग सेवा के दौरान जिस प्रकार लोगों के बैंक में अकाउंट खुलाए थे है। उसी तरह प्रकार अब भगवान की “बैंक” में लोगों के खाते खुलवाएंगे जिससे उन्हें पुण्य का ब्याज मिले। सभी लोगों को सामूहिक साधना का किट भेंट कर सम्मान किया गया।
गायत्री महामंत्र से जाग्रत होता है विवेक:*
व्यासपीठ से महेन्द्र कुमार ने कहा कि गायत्री और यज्ञ भारतीय संस्कृति के दो आधार स्तंभ है। गायत्री परिवार के संस्थापक पं. श्रीराम शर्मा ने 24 साल तक लगातार जप और तप करके गायत्री महामंत्र को शाप मुक्त कर सबके लिए सर्वसुलभ बना दिया। शुद्ध तन-मन से कोई भी व्यक्ति या महिला गायत्री महामंत्र का जप कर सकता है। गायत्री महामंत्र का जाप करने से विवेक जाग्रत होता। गायत्री महामंत्र के जप से शरीर के 24 सूक्ष्म केन्द्र जाग्रत होते है जो उत्साह,उमंग, आशा, खुशी के हार्मोंस का संचार करते है।