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डॉ. नीलम बावरा मन को किया विद्यावाचस्पति उपाधि से सम्मानित

 

उज्जैन। श्री मौनतीर्थ हिन्दी विद्यापीठ, उज्जैन में ब्रह्मलीन मौनीबाबा के 115वें श्रद्धापर्व के अवसर पर आयोजित वार्षिक राष्ट्रीय अधिवेशन और सारस्वत सम्मान 2024-2025 के दौरान नई दिल्ली की सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. नीलम बावरा मन को विद्यावाचस्पति उपाधि से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें हिन्दी साहित्य में उनके विशेष योगदान और हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार के प्रति उनके समर्पण को देखते हुए प्रदान किया गया।

तीन दिवसीय आयोजन
यह भव्य आयोजन दिनांक 12 से 14 दिसंबर 2024 तक श्री मौनतीर्थ पीठ, चित्रकूट गंगाघाट, मंगलनाथ मार्ग, उज्जैन, मध्य प्रदेश में आयोजित किया गया। इस सम्मान समारोह में देश के प्रतिष्ठित विद्वानों और गणमान्य व्यक्तियों ने हिस्सा लिया, जिनमें मुख्यरूप से
महामंडलेश्वर सुमनानंद महाराज (परम पूज्य छत्रछाया)।
डॉ. पी.आर. वासुदेवन ‘शेष’, सेवानिवृत्त वरिष्ठ हिंदी अधिकारी, चेन्नई।
डॉ. नंदलाल मणि त्रिपाठी ‘पीताम्बर’, ज्योतिष एवं धर्मशास्त्र विशेषज्ञ, गोरखपुर।
डॉ. संदीप गांधी, कुलसचिव, कलिंगा विश्वविद्यालय, नया रायपुर। डॉ. प्रमोद कुमार शुक्ला, राष्ट्रपति अवार्डी शिक्षाविद एवं लेखक, बस्तर। अमित पुरोहित, विशिष्ट अतिथि, मौनतीर्थ पीठ व अन्य शामिल हुए।

डॉ. नीलम बावरा मन की उपलब्धियां
डॉ. नीलम बावरा मन हिन्दी साहित्य की जानी-मानी हस्ती हैं। उनकी लेखनी ने न केवल साहित्यिक क्षेत्र में अमिट छाप छोड़ी है, बल्कि हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनकी साहित्य साधना और हिन्दी प्रेम ने उन्हें इस प्रतिष्ठित उपाधि का हकदार बनाया।

समारोह का उद्देश्य
इस आयोजन का उद्देश्य भारतीय साहित्य, संस्कृति, और धर्म के संवर्धन के साथ-साथ हिन्दी भाषा को नई पीढ़ी तक पहुँचाना और इसके प्रचार-प्रसार में योगदान देने वाले व्यक्तियों को सम्मानित करना था।

यह आयोजन न केवल साहित्यकारों के लिए प्रेरणास्त्रोत बना बल्कि भारतीय संस्कृति और हिन्दी भाषा को समर्पित एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत किया।

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