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जहरीली खेती: एक गंभीर चुनौती — जे पी शर्मा

 

खेती-किसानी भारत की आत्मा है, लेकिन आज यह आत्मा खतरे में है। “जहरीली खेती” शब्द का मतलब उन कृषि प्रक्रियाओं से है, जिनमें अत्यधिक रसायनों और कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है। यह समस्या न केवल किसानों बल्कि उपभोक्ताओं और पर्यावरण के लिए भी गंभीर चिंता का विषय बन गई है।

जहरीली खेती के कारण

1. रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का अधिक उपयोग
किसान अधिक उपज के लालच में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का जरूरत से ज्यादा उपयोग करते हैं। यह मिट्टी की उर्वरता को नष्ट कर देता है।

2. जानकारी की कमी
ग्रामीण इलाकों में किसानों को प्राकृतिक और जैविक खेती की जानकारी नहीं है। वे बड़ी कंपनियों के विज्ञापनों से प्रभावित होकर रासायनिक उत्पादों का इस्तेमाल करते हैं।

3. सरकारी नीतियों की कमी
जैविक खेती को प्रोत्साहित करने वाली नीतियों का अभाव भी इस समस्या को बढ़ा रहा है।

 

जहरीली खेती के प्रभाव

1. स्वास्थ्य पर असर
जहरीली खेती से उगाई गई फसलें खाने से कैंसर, हृदय रोग, और अन्य गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

2. पर्यावरणीय नुकसान
रसायन भूमि, जल और वायु को प्रदूषित करते हैं। यह जैव विविधता को भी नष्ट कर देता है।

3. मिट्टी की गुणवत्ता में गिरावट
लगातार रसायनों का उपयोग मिट्टी की प्राकृतिक उर्वरता को खत्म कर देता है, जिससे फसल उत्पादन में गिरावट आती है।

4. पशुधन और जलीय जीवों पर असर
जहरीले रसायन जल स्रोतों में मिलकर जलीय जीवों और पशुओं के जीवन को खतरे में डालते हैं।

 

समाधान के रास्ते

1. जैविक खेती का प्रोत्साहन
किसानों को जैविक खेती की ट्रेनिंग दी जाए और जैविक उत्पादों के लिए बेहतर बाजार उपलब्ध कराया जाए।

2. शिक्षा और जागरूकता
किसानों को रासायनिक खेती के नुकसान और जैविक विकल्पों के लाभ के बारे में शिक्षित किया जाए।

3. सरकारी सहायता
जैविक खाद और प्राकृतिक कीटनाशकों को सस्ता और सुलभ बनाया जाए।

4. पर्यावरणीय नीतियां
खेती में इस्तेमाल होने वाले खतरनाक रसायनों पर सख्त प्रतिबंध लगाया जाए।

 

निष्कर्ष

जहरीली खेती एक गंभीर चुनौती है, जिसका समाधान सामूहिक प्रयासों और जागरूकता से ही संभव है। किसानों, सरकार और आम जनता को मिलकर ऐसे प्रयास करने चाहिए, जिससे खेती न केवल उपजाऊ हो, बल्कि स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित बनी रहे। जैविक खेती को अपनाकर हम भविष्य की पीढ़ियों को एक स्वस्थ और स्वच्छ वातावरण दे सकते हैं।
जे पी शर्मा / जर्नलिस्ट

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