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कलाकारों की उपेक्षा: समय की मांग है एकता और संघर्ष

 

**परिचय**

कलाकार समाज की आत्मा हैं। उनके बिना हमारी संस्कृति और परंपराएं अधूरी हैं। फिर भी, भारत में कलाकारों की अनदेखी एक गंभीर समस्या बन चुकी है। सरकार और समाज दोनों ही कलाकारों को वह सम्मान और सहारा देने में विफल रहे हैं, जिसकी वे हकदार हैं। संगीत, नृत्य, और कला के क्षेत्र में काम करने वाले हजारों कलाकार आज बेरोजगारी और अस्थिरता के साये में जी रहे हैं।

**सरकार का दोहरापन**

सरकार बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स और योजनाएं बनाती है, लेकिन इनका सीधा लाभ कभी भी कलाकारों तक नहीं पहुंचता।

– **रोजगार से दूर**:

सरकारी प्रोजेक्ट्स और टेंडर में कलाकारों को शामिल नहीं किया जाता। यह उनके प्रति स्पष्ट भेदभाव को दर्शाता है।

– **अनुदान का अभाव**:

कलाकारों को अपने पेशे में आगे बढ़ने के लिए जरूरी उपकरण, स्टूडियो, फिल्म निर्माण, और टेक्निकल कोर्सेज के लिए किसी भी प्रकार की आर्थिक सहायता नहीं मिलती।

**कलाकारों की स्थिति**

आज का कलाकार अपने पैसों से कला को जिंदा रख रहा है। वे अपने शौक और जुनून के चलते समाज में कला का संरक्षण कर रहे हैं, लेकिन उन्हें बेरोजगार और बेकार समझा जाता है।

– **व्यवसाय को मान्यता का अभाव**:

कलाकारों के पेशे को अब तक कोई आधिकारिक मान्यता नहीं दी गई है।

– **संगीत और कला के लिए मंच का अभाव**:

न तो स्कूलों में संगीत को अनिवार्य विषय बनाया गया है, न ही संगीत कलाकारों के लिए सरकारी रिक्तियों में स्थान।

**आवश्यक कदम**

यह समय है कि कलाकार एकजुट होकर अपनी आवाज बुलंद करें और अपने हक के लिए संघर्ष करें। संगीत कलाकार यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय तिवाड़ी के नेतृत्व में इस दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। यूनियन के 45,000 सदस्य पूरे भारत में एक नई क्रांति का आह्वान कर रहे हैं।

**संघर्ष के मुख्य उद्देश्य**
1. **आर्थिक सहायता**:

हर कलाकार को 50,000 रुपये तक की आर्थिक सहायता क्रेडिट कार्ड के रूप में दी जाए।
– ऑडियो रिकॉर्डिंग स्टूडियो के लिए 3 लाख से 5 लाख रुपये तक का ऋण उपलब्ध हो।

2. **संगीत को बढ़ावा**:

सरकारी और गैर-सरकारी विद्यालयों में संगीत को अनिवार्य विषय बनाया जाए।
– योग्य संगीत कलाकारों की सरकारी रिक्तियों में नियुक्ति हो।
3. **सरकारी टेंडर और सब्सिडी**:

फिल्म निर्माण और शॉर्ट मूवी प्रोजेक्ट्स के लिए योग्य और काबिल कलाकारों को ही सरकारी टेंडर मिलें।
– फिल्म और म्यूजिक प्रोडक्शन के लिए सब्सिडी दी जाए।

**कलाकारों के भविष्य पर खतरा**

अगर आज हम नहीं जागे, तो कल हमारी कला और संस्कृति पर गंभीर संकट आ सकता है। यह आवश्यक है कि कलाकार जागरूक हों और अपने हक के लिए संघर्ष करें। विजय तिवाड़ी जी के नेतृत्व में संगीत कलाकार यूनियन न केवल इन समस्याओं को उजागर कर रही है, बल्कि उनके समाधान के लिए भी प्रतिबद्ध है।

**आपसे निवेदन**
कलाकार भाइयों और बहनों, यह लड़ाई केवल एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि हम सबकी है। एकता ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है। आइए, इस आंदोलन का हिस्सा बनें और अपने अधिकारों की लड़ाई में सहयोग करें।

*निष्कर्ष*

यह संघर्ष केवल कलाकारों के सम्मान और रोजगार के लिए नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित रखने के लिए भी है। हमें अपने हक की लड़ाई में पीछे नहीं हटना चाहिए। विजय तिवाड़ी और संगीत कलाकार यूनियन के साथ मिलकर अपने भविष्य को सुरक्षित और सशक्त बनाएं।

कलाकारों को अछूत नहीं, बल्कि समाज का गौरव बनाया जाए।

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