रामायण की कथा भजन के माध्यम से // जानीमानी लेखिका रूपल दबे “रूप” की कलम से 1
हम कथा सुनाते राम सकल गुणधाम की,
ये रामायण है पुण्य कथा श्री राम की।।
श्लोक – ॐ श्री महागणाधिपतये नमः,
ॐ श्री उमामहेश्वराभ्याय नमः।
वाल्मीकि गुरुदेव के पद पंकज सिर नाय,
सुमिरे मात सरस्वती हम पर होऊ सहाय।
मात पिता की वंदना करते बारम्बार,
गुरुजन राजा प्रजाजन नमन करो स्वीकार।।
इस की प्रथम लाइन में प्रभु श्री राम जी के समस्त जीवन और उनके कुल की कथा है जो हम आपको सुनाने जा रहे हैं।सकल यानी समस्त कुल के गुणों की प्रशंसा बताने की बात की हैं जो की इस सुंदर भजन के माध्यम से बताया गया है,इस छोटे से भजन के माध्यम से पूरी रामायण बताई गई हैं।
दूसरी लाइन में कहा गया है की ये रामायण नामक पुण्य कथा है जो की श्री राम जी के बारे में है। इस के बाद एक श्लोक आता है जिसमें सर्व प्रथम भगवान श्री गणेश जी को नमन किया गया है और उसके बाद उमा और महेश यानी भगवान शिव और माता पार्वती को प्रणाम किया है तत्पश्चात कहा है हम वाल्मीकि गुरुदेव के पैरों को छूके प्रणाम करते हैं और इस सुंदर कथा को आपके समक्ष प्रस्तुत करने के लिए माता सरस्वती को बताते हैं कि आप हमारी सहायता करना।
इसके बाद अपने माता पिता को बारंबार प्रणाम करते हैं और समस्त गुरुजनों, राजाओं और प्रजाजनों को अपना प्रणाम स्वीकार करने के लिए प्रार्थना करते हैं।
Rupal Dave “Rup”