सुनीता तिवारी: सृजनशीलता और करुणा की प्रतिमूर्ति
सुप्रसिद्ध कवयित्री और लेखिका सुनीता तिवारी जी केवल अपनी रचनाओं में ही नहीं, बल्कि अपने जीवन के हर पहलू में संवेदनशीलता और करुणा का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करती हैं। उनकी लेखनी में जहां गहन भावनाओं और समाज की सच्चाई का प्रतिबिंब होता है, वहीं उनके व्यक्तिगत जीवन में यह करुणा उनके पालतू तोते के प्रति उनके प्रेम में झलकती है।
उनका तोता न केवल उनका साथी है, बल्कि उनके जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है। वह उनके साथ हर पल रहता है, उनके साथ भोजन करता है और उनके सृजनशील क्षणों का साक्षी बनता है। सुनीता जी का तोते के प्रति यह स्नेह यह दर्शाता है कि वे प्रकृति और जीव-जंतुओं से गहरा जुड़ाव रखती हैं।
जब वे एक छोटे से जीव के प्रति इतनी संवेदनशील और प्रेमपूर्ण हैं, तो यह स्पष्ट है कि उनका बच्चों, पेड़-पौधों और समाज के प्रति भी असीम स्नेह और दया का भाव है। उनकी रचनाओं में भी यह प्रकृति प्रेम और जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण बार-बार झलकता है।
सुनीता तिवारी जी की रचनाएं केवल पाठकों के मन को ही नहीं छूतीं, बल्कि उन्हें जीवन और प्रकृति के प्रति एक नई दृष्टि प्रदान करती हैं। उनका पालतू तोता उनके जीवन का प्रतीक है, जो यह सिखाता है कि सच्चा प्रेम और करुणा केवल मनुष्यों तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि हर जीव और प्रकृति के कण-कण में फैली होनी चाहिए।
उनके इस प्रेम और करुणा से प्रेरणा लेते हुए, हम सभी को यह संकल्प लेना चाहिए कि हम भी जीव-जंतुओं, बच्चों और प्रकृति के प्रति ऐसा ही स्नेह और सम्मान दिखाएं। सुनीता तिवारी जी न केवल अपनी रचनाओं से, बल्कि अपने जीवन से भी एक प्रेरणा बन चुकी हैं।
जे पी शर्मा / जर्नलिस्ट