बोर्ड परीक्षा में बच्चों में बढ़ता तनाव और इससे बचने के उपाय // सुप्रसिद्ध लेखिका व कवियित्री प्रतिमा पाठक की कलम से

बोर्ड परीक्षाएँ विद्यार्थियों के जीवन में अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। यह उनके शैक्षणिक और व्यावसायिक भविष्य को दिशा देने का माध्यम हैं। परंतु, इन परीक्षाओं के साथ जुड़ा मानसिक दबाव और तनाव बच्चों के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुका है। आज का प्रतिस्पर्धात्मक माहौल और समाज की अपेक्षाएँ इस तनाव को और भी बढ़ा देती हैं।
*बढ़ते तनाव के कारण*
1- बोर्ड परीक्षा का परिणाम विद्यार्थियों के भविष्य के लिए अहम माना जाता है। यही कारण है कि बच्चे बेहतर प्रदर्शन के दबाव में आ जाते हैं।
2- माता-पिता और समाज की ओर से अच्छे अंकों की अपेक्षा बच्चों पर मानसिक दबाव डालती है।
3-बच्चे असफलता के डर से चिंतित रहते हैं और यह चिंता उनके आत्मविश्वास को कमजोर कर देती है।
4-लंबे सिलेबस, समय की कमी और लगातार पढ़ाई का दबाव बच्चों को मानसिक और शारीरिक रूप से थका देता है।
5- दोस्तों और सहपाठियों के साथ तुलना भी बच्चों में हीन भावना और तनाव उत्पन्न करती है।
बोर्ड परीक्षा के तनाव को कम करना कठिन नहीं है। इसके लिए बच्चों, माता-पिता और शिक्षकों के बीच सामंजस्य और सहयोग की आवश्यकता है।
*तनाव से बचने के उपाय*
1-माता-पिता और बच्चों के बीच संवाद का खुला वातावरण होना चाहिए। बच्चों को यह समझाने की जरूरत है कि परीक्षा जीवन का केवल एक हिस्सा है, जीवन का अंत नहीं।
2- पढ़ाई का सही समय प्रबंधन बच्चों को मानसिक रूप से तैयार रखता है। टाइम टेबल बनाकर पढ़ाई और आराम के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है।
3-योग और ध्यान बच्चों को मानसिक रूप से मजबूत बनाते हैं। यह न केवल तनाव को कम करता है, बल्कि एकाग्रता को भी बढ़ाता है।
4-लगातार पढ़ाई के बीच थोड़े समय के लिए बच्चों को उनके शौक पूरे करने और मनोरंजन करने का अवसर देना चाहिए। इससे मानसिक ताजगी बनी रहती है।
5-शिक्षकों और अभिभावकों को बच्चों को प्रेरित करना चाहिए कि वे अपनी क्षमताओं पर विश्वास करें। परीक्षा के लिए सकारात्मक वातावरण तैयार करें और उन्हें समझाएँ कि मेहनत करना परिणाम से अधिक महत्वपूर्ण है।
6-बच्चों की तुलना दूसरों से न करें। हर बच्चे की अपनी विशेषताएँ होती हैं, और उसे उसी के अनुसार प्रेरित करना चाहिए।
7-बड़े सिलेबस को छोटे-छोटे हिस्सों में बाँटकर पढ़ाई करें। इससे पढ़ाई बोझिल नहीं लगेगी और आत्मविश्वास भी बढ़ेगा।
बोर्ड परीक्षाएँ बच्चों के जीवन में महत्वपूर्ण होती हैं, लेकिन इन्हें बच्चों के तनाव का कारण नहीं बनने देना चाहिए। परीक्षाएँ केवल एक पड़ाव हैं, न कि पूरी यात्रा। बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए उनके साथ सकारात्मक और सहयोगी व्यवहार करना आवश्यक है।माता-पिता, शिक्षक और समाज को बच्चों का साथ देना चाहिए, ताकि वे न केवल सफल हों, बल्कि एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन भी जी सकें।
प्रतिमा पाठक
कवियत्री/समाज सेविका
दिल्ली