डॉ. नवप्रभाकर को ‘शिक्षा श्री’ सम्मान, शिक्षकों की महत्ता पर चर्चा

हरिद्वार यूनिवर्सिटी में आयोजित चतुर्थ अखिल भारतीय शैक्षिक विमर्श एवं शिक्षक सम्मान समारोह में शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले डॉ. नवप्रभाकर लाल गोस्वामी को “शिक्षा श्री” सम्मान से नवाजा गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कर्नल अजय कोठियाल (सेवा निवृत्त), कीर्ति चक्र, शौर्य चक्र, विशिष्ट सेवा मेडल ने अपने संबोधन में शिक्षा और कौशल के महत्व पर जोर देते हुए कहा, “शिक्षा युवाओं के विकास का आधार है, जो समाज और अर्थव्यवस्था को आकार देती है। शिक्षकों का दायित्व है कि वे बच्चों में उच्च गुणवत्ता और संस्कारयुक्त शिक्षा का संचार करें।”
कार्यक्रम में 20 शिक्षाविदों को “शिक्षा श्री” और 45 शिक्षकों को “टीचर्स आइकन अवार्ड” से सम्मानित किया गया।
विशिष्ट वक्ताओं के विचार
पद्मश्री डॉ. प्रेम चंद शर्मा ने कहा, “शिक्षक राष्ट्र के सच्चे निर्माता हैं। देश की प्रगति और खुशहाली में शिक्षकों की भूमिका सर्वोपरि होती है।” वहीं, पद्मश्री कल्याण सिंह रावत ने बच्चों के प्रारंभिक वर्षों में दी जाने वाली शिक्षा और संस्कारों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, “बालमन कोरे कागज की तरह होता है, जिस पर शिक्षक सुन्दर जीवन के रंग भरते हैं।”
शिक्षाविद् और साहित्यकार डॉ. नंद किशोर नौटियाल ने शिक्षकों की तुलना कुशल कुम्हार से करते हुए कहा, “शिक्षक का दायित्व है कि वह छात्रों को इस प्रकार संवारे कि वे ‘विश्व का प्रकाश’ बनकर चमकें।”
पद्मश्री सेठ पाल सिंह ने विद्यालयों में “किचन गार्डन” की महत्ता को रेखांकित करते हुए ऑर्गेनिक गार्डन और मौसमी सब्जियों के महत्व पर चर्चा की।
पुस्तक विमोचन एवं अध्यक्षीय संबोधन
इस अवसर पर आईएसबीएन नंबर युक्त संजय शर्मा ‘वत्स’ द्वारा संपादित पुस्तक “उदघोष: शिक्षा का नया सवेरा” का विमोचन किया गया। हरिद्वार यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष सी.ए. एस.के. गुप्ता ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा, “हमारी यूनिवर्सिटी का उद्देश्य विद्यार्थियों में जिज्ञासा और नवाचार का वातावरण तैयार करना है। नैतिक मूल्यों और व्यावसायिक उत्कृष्टता के साथ छात्रों को तैयार करना हमारी प्राथमिकता है।”
कार्यक्रम का संचालन संयोजक संजय वत्स और अर्चना पांडे ने किया। समारोह में देशभर से आए शिक्षाविदों और विद्वानों ने अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।