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कुम्भ: सत्य सनातन ज्योति प्रज्वलित!

 

कुम्भ में सत्य सनातन ज्योति प्रज्वलित,
न कोई ऊंच न नीच सभी हैं प्रफुल्लित।
इंसानी समुन्दर-सा हुआ यह आयोजन,
ये धर्म ध्वजा की पताका फहरे प्रयोजन।
यहाँ कोई किसी को जानता-पहचानता,
हम सबमें हैं आत्मीयतासा भाव जागता।

कुम्भ में सत्य सनातन ज्योति प्रज्वलित,
न कोई ऊंच न नीच सभी हैं प्रफुल्लित।
सही समझ रहें सब एक-दूजे की बोली,
हे प्रयाग संग-संग सभी हुए हमजोली।
आई ये सब के चेहरों पर मुस्कुराहट है,
ये नई सोच नवभारत की एक आभा है।

कुम्भ में सत्य सनातन ज्योति प्रज्वलित,
न कोई ऊंच न नीच सभी हैं प्रफुल्लित।
देश-दुनिया, विदेशी सनातनी को वंदन,
सकारात्मक ऊर्जा दे रहें माथे पे चंदन।
यहीं अपूर्व दिव्य-शक्ति का हैं आकर्षण,
त्रिवेणी तट पर अमृत रसपान विलक्षण।

संजय एम तराणेकर
(कवि, लेखक व समीक्षक)
इन्दौर-452011 (मध्यप्रदेश)
मो. 98260-25986

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