मौनी अमावस्या पर श्रद्धा और आस्था का संगम

जयपुर। माघ माह की अमावस्या बुधवार को मौनी अमावस्या के रूप में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाई गई। उत्तरायण की पहली अमावस्या पर उत्तराषाढ़ा नक्षत्र और सिद्धि योग के संयोग में श्रद्धालुओं ने प्रातःकाल गलताजी में पुण्य स्नान किया। देशभर के तीर्थ स्थलों पर स्नान, दान और तर्पण की विशेष धूम रही। छोटी काशी के मंदिरों में भव्य झांकियों के दर्शन किए गए, जबकि श्रद्धालुओं ने गौशालाओं और मंदिरों में दान-पुण्य कर धर्म लाभ लिया। जो श्रद्धालु पवित्र नदियों तक नहीं पहुंच सके, उन्होंने गोविंद देवजी मंदिर की ओर से वितरित कुंभ जल को पानी में मिलाकर स्नान किया।
गोविंद देवजी मंदिर में विशेष आयोजन
मौनी अमावस्या के पावन अवसर पर ठिकाना मंदिर श्री गोविंद देवजी में महंत अंजन कुमार गोस्वामी जी के सान्निध्य में मंगला झांकी के बाद ठाकुर श्रीजी का पंचामृत अभिषेक किया गया। इस अवसर पर ठाकुर श्रीजी को काले रंग की सर्दी जामा पोशाक पहनाई गई और विशेष अलंकार धारण कराए गए। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने विशेष झांकी के दर्शन कर पुण्य लाभ लिया।
म्हारे घरा पधारो श्याम संस्था की ओर से चारा, रोटी और गुड़ एकत्रित कर प्रकाश दास जी महाराज की गौशाला में पहुंचाया गया। इस सेवा कार्य में शिवदयाल सेन, जयसिंह राठौड़, आनंद, रतन कट्टा सहित कई श्रद्धालु शामिल रहे।
महाकुंभ और दुर्लभ योग
ज्योतिषाचार्य डॉ. महेंद्र मिश्रा ने बताया कि महाकुंभ में मौनी अमावस्या तिथि के दिन विशिष्ट त्रिवेणी संयोग बना, जिसके कारण श्रद्धालुओं में दान-पुण्य के प्रति विशेष उत्साह देखने को मिला। 144 वर्षों बाद इस दिन समुद्र मंथन तुल्य योग बना, जो 8 फरवरी प्रातः 7:25 बजे तक प्रभावी रहा। इस अवधि में स्नान, दान और जप करने से अमृत स्नान का पुण्य प्राप्त होता है।
माघ मास की अमावस्या तिथि पर सूर्य, चंद्रमा और बुध तीनों ग्रह मकर राशि में स्थित रहे, जबकि बृहस्पति की नवम दृष्टि इस योग को और प्रभावी बना रही थी। इस विशिष्ट संयोग को त्रियोग या त्रिवेणी योग कहा जाता है, जो समुद्र मंथन काल के योग के समान है। इस योग में गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम स्थल पर स्नान का विशेष महत्व बताया गया है।
दीपयज्ञ का आयोजन
करधनी गायत्री महिला मंडल की ओर से कालवाड़ रोड, झोटवाड़ा के गणेश नगर विस्तार में दीपयज्ञ का आयोजन किया गया। आयोजन से जुड़ी कुसुमलता सिंघल ने बताया कि महिलाएं अपने घर से पांच दीपक लेकर आईं और महिला सशक्तिकरण व राष्ट्र निर्माण के लिए देवी-देवताओं का पंचोपचार पूजन कर अक्षत के माध्यम से आहुतियां अर्पित की गईं। इस अवसर पर गायत्री शक्तिपीठ कालवाड़ के ट्रस्टी प्रहलाद शर्मा, राजेंद्र सैनी ने यज्ञ विधि संपन्न करवाई।
इस प्रकार, मौनी अमावस्या पर आस्था, दान और सेवा का अनुपम संगम देखने को मिला, जिसमें श्रद्धालुओं ने पुण्य लाभ अर्जित किया और धर्म परंपराओं का पालन करते हुए समाज सेवा में योगदान दिया।