राजेश कुमार ‘राज’: सरलता और सृजनशीलता के प्रतीक

राजेश कुमार ‘राज’, एक ऐसा नाम है, जो सादगी, मधुरता, और काव्य की शक्ति का प्रतीक है। 65 वर्षीय राजेश जी न केवल भारत सरकार के राजकीय सेवा में राजपत्रित अधिकारी के रूप में अपनी जिम्मेदारियों को सफलतापूर्वक निभा चुके हैं, बल्कि साहित्य और पत्रकारिता के क्षेत्र में भी अपनी अमिट छाप छोड़ चुके हैं।
हरिद्वार की पवित्र भूमि पर जन्मे और पले-बढ़े राजेश ‘राज’ ने पत्रकारिता के माध्यम से समाज को जागरूक करने का महत्वपूर्ण कार्य किया। वे ‘दैनिक बद्री विशाल’ के समाचार संपादक और ‘साप्ताहिक परिचक्र’ के सह-संपादक रहे। उनकी लेखनी में सच्चाई, समाज के प्रति जागरूकता और एक नई दिशा देने का अद्भुत सामर्थ्य है।
उनका मृदुभाषी स्वभाव और सरल व्यक्तित्व हर किसी को उनकी ओर आकर्षित करता है। वे जीवन को प्रेम और स्नेह के धागों से पिरोने वाले व्यक्तित्व हैं। उनकी रचनाओं में मानवीय संवेदनाएँ, प्रकृति का सौंदर्य, और रिश्तों का मधुर संगीत झलकता है। उनके लेखन और कविता के माध्यम से प्रेम, शांति और मानवीय मूल्यों को प्रोत्साहन मिलता है।
राजेश ‘राज’: एक कवि और समाज के प्रेरक
कवि के रूप में राजेश ‘राज’ ने न केवल अपनी भावनाओं को शब्दों में पिरोया, बल्कि समाज के लिए प्रेरणास्त्रोत भी बने। उनकी कविताएँ सरल और गहन होती हैं, जिनमें हर उम्र और वर्ग का व्यक्ति खुद को जोड़ पाता है। उनके शब्दों में गहराई और प्रभाव ऐसा है कि वे सीधे हृदय को छू लेते हैं।
सभी के प्रति प्रेम
राजेश जी का जीवन प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। उनका मानना है कि जीवन का सार सभी के प्रति स्नेह और आदर में निहित है। उनके विचार और कर्म हमेशा लोगों को प्रेरित करते हैं कि हम सादगी और स्नेह से भी समाज में बदलाव ला सकते हैं।
आज, सेवानिवृत्ति के बाद भी, वे साहित्य और कविता के माध्यम से अपनी सेवा जारी रखे हुए हैं। उनका जीवन, उनकी कृतियाँ, और उनका व्यक्तित्व आज भी युवाओं और साहित्य प्रेमियों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं।
राजेश कुमार ‘राज’ जैसे व्यक्तित्व को सलाम, जो न केवल एक सफल अधिकारी रहे हैं, बल्कि अपनी लेखनी से समाज में प्रेम और सौहार्द का संदेश भी फैला रहे हैं।
जे पी शर्मा / मुख्य संपादक, नजर इंडिया 24