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आधुनिक करण या अंधानुकरण // डॉ इंदु भार्गव

 

आधुनिक करण और अंधानुकरण दो ऐसे पहलू हैं, जो हमारे समाज के विकास और संस्कृति के दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्व रखते हैं। जब हम आधुनिक करण की बात करते हैं, तो हम उन बदलावों और नवाचारों की ओर संकेत करते हैं जो विज्ञान, तकनीकी और समाजिक जीवन में उन्नति की दिशा में होते हैं। यह एक सकारात्मक प्रक्रिया है, जो हमें नए विचार, दृष्टिकोण और अवसरों के प्रति जागरूक करता है। उदाहरण स्वरूप, इंटरनेट, स्मार्टफोन, विज्ञान की खोजें और तकनीकी उन्नति ने हमारे जीवन को सरल और तेज बना दिया है। आधुनिक करण का मुख्य उद्देश्य समाज के प्रत्येक व्यक्ति को नए विकास के अवसर प्रदान करना और उसकी गुणवत्ता को बेहतर बनाना है।

वहीं दूसरी ओर, अंधानुकरण एक नकारात्मक प्रवृत्ति है, जिसमें लोग बिना सोच-समझे पश्चिमी या अन्य संस्कृतियों को अपनाने की कोशिश करते हैं। यह समाज की मौलिकता और सांस्कृतिक धरोहर को नुकसान पहुँचा सकता है। जब हम किसी भी चीज़ को बिना अपने सांस्कृतिक मूल्यों और परंपराओं को ध्यान में रखते हुए अपनाते हैं, तो यह अंधानुकरण के रूप में सामने आता है। उदाहरण के तौर पर, कुछ लोग पश्चिमी फैशन या जीवनशैली को इतना महत्व देते हैं कि वे अपनी पारंपरिक संस्कृति और मूल्य प्रणाली को भूल जाते हैं।

अंततः, हमें यह समझने की आवश्यकता है कि आधुनिक करण और अंधानुकरण के बीच का अंतर बहुत महत्वपूर्ण है। हमें आधुनिकता को अपनाने में कोई हानि नहीं है, बशर्ते हम अपनी सांस्कृतिक पहचान और मूल्य प्रणालियों को न भूलें। यह आवश्यक है कि हम अपनी जड़ों से जुड़े रहें और बाहरी प्रभावों को विवेकपूर्ण तरीके से स्वीकार करें, ताकि हम एक बेहतर और संतुलित समाज का निर्माण कर सकें।

इस प्रकार, आधुनिक करण का उद्देश्य प्रगति है, जबकि अंधानुकरण केवल अज्ञानता और अपनी पहचान को खोने का परिणाम हो सकता है। हमें अपनी परंपराओं को सम्मान देते हुए, आधुनिकता को अपनाना चाहिए और दोनों के बीच संतुलन बनाए रखना चाहिए।
डॉ इंदु भार्गव जयपुर

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