अकेलापन और एकांत में क्या अंतर है — राजेन्द्र परिहार

अकेलापन और एकांत दोनों समय के वो अनुभव
हैं,जो सबके जीवन में आते हैं और अपना प्रभाव
भी दर्शाते हैं।
सरसरी तौर पर दोनों में कोई खास
अंतर प्रतीत नहीं होता है, जबकि दोनों में स्पष्टत:
अंतर होता है।
अकेलापन और एकांत में अन्तर-
अकेलापन विवशता की एक दशा है,किसी भी व्यक्ति
के जीवन में विवशता के कारण ही चली आती है कोई
भी मनुष्य अकेला रहना नहीं चाहता है, क्योंकि वह
एक सामाजिक प्राणी है और समूह में रहना ही पसन्द
करता है।
अकेलापन कष्टप्रद और विवशता की वह
वज़ह है जो अनचाहे भी झेलना पड़ता है।
एकांत: एकांत स्वैच्छिक स्थिति है जब कोई इंसान
कोई ऐसा काम करना चाहता है जिसमें पूरी तरह से ध्यान केंद्रित करना होता है तो वह एकांत चाहता है।
जैसे एक कवि जब अपनी कविता लिखना चाहता है,
तो उसे एकांत की परम आवश्यकता होती है। एकांत
वातावरण में संपूर्ण ध्यान अपने कर्म पर होता है ध्यान
योग भी तभी संभव हो पाता है जब पूरी तरह से एकांत अवस्था हो। एकांत पूर्णतया सुख का कारक
है जबकि अकेलापन अनैच्छिक और दुःख
कारक है।
राजेन्द्र परिहार “सैनिक”