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अंत:करण // लेखिका सरोज चन्द्रा पालीवाल

 

अंत:करण क्या शब्द है,
क्या इसकी महिमा है।
अंत:करण शुद्धता का प्रतीक है। अंतर-आत्मा‌ के भावों को
दर्शाता है। अंत:करण हमें हमेशा सही ही राह दिखाता
हैं, चाहे मानें या न माने। आतंरिक भावों के माध्यम से
सांसारिक कार्यों को करें तो
उसके परिणाम अच्छे आते हैं।
कहते हैं ना ज़मीर मतलब अंत:करण की आवाज वो हमें
हमेशा सही की‌ ओर ही प्रेरित
करती है अंत:करण के भाव
सुन्दर एवं व्यवहारिक होते हैं।
अंत: सदैव सन्मार्ग पर ही ले
जाता है। उसकी बात न मानने
पर हालात सही नहीं हो सकते
सरोज चन्द्रा पालीवाल

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