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बसंत ऋतु और प्रेम // लेखिका डॉ इंदु भार्गव

 

बसंत ऋतु और प्रेम का गहरा संबंध है, जो भारतीय संस्कृति और साहित्य में विशेष रूप से देखा जाता है। बसंत का मौसम खुशहाली, नवीनता और सुंदरता का प्रतीक होता है। जब धरती पर हरियाली छाती है और फूल खिलते हैं, तो यह वातावरण न केवल शारीरिक रूप से, बल्कि मानसिक रूप से भी मनुष्य को प्रसन्न करता है। ऐसे में प्रेम की भावना अपने शिखर पर होती है, क्योंकि बसंत का समय प्रेम के खिलने का सबसे उपयुक्त अवसर है।

वसंत ऋतु में प्रकृति का सौंदर्य अपने चरम पर होता है। रंग-बिरंगे फूल, हल्की सी ठंडी हवा, और मधुर संगीत वातावरण में घुल जाते हैं। यह वातावरण प्रेम की भावना को जगाता है, क्योंकि बसंत का मौसम हर दिल को नरम और कोमल बना देता है। जब फूल खिलते हैं और मनुष्य के दिल में नई उम्मीदों का संचार होता है, तो प्रेम की भावना भी उसी तरह खिलने लगती है।

प्राचीन साहित्य में भी बसंत और प्रेम को जोड़कर चित्रित किया गया है। खासकर कवियों ने इस मौसम को प्रेम के आदान-प्रदान का सबसे उपयुक्त समय माना है। जयशंकर प्रसाद, सूरदास, और मीराबाई जैसे महान कवियों ने अपने काव्य में इस ऋतु का प्रेम के प्रतीक के रूप में उल्लेख किया है।

इस प्रकार, बसंत का संबंध केवल प्राकृतिक सुंदरता से नहीं है, बल्कि यह प्रेम, सौंदर्य और भावनाओं की गहरी अभिव्यक्ति का प्रतीक भी है। इस मौसम में दिलों के बीच प्रेम का संचार होता है और यह प्रेम की शुद्धता और नयापन का प्रतीक बन जाता है।
स्व लिखित आलेख!!

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