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चल उड़ जा रे पंछी भजन का अर्थ मेरे शब्दों में… रूपल दवे

 

 

इस गीत का अर्थ बहुत ही गहन है।आध्यात्मिक दृष्टि से देखे तो इस में जीवन से लेके अंत तक की कहानी बहुत ही सरल शब्दों में दे दी गई है।

चल उड़ जा रे पंछी (२) कि अब ये देश हुआ बेगाना
चल उड़ जा रे पंछी …

पहले कहा है कि है मानवी तु अब पंछी की भाती इस संसार से चला जा ये देश अब तेरे लिए बेगाना यानी कि पराया हो चुका है।

खतम हुए दिन उस डाली के जिस पर तेरा बसेरा था
आज यहाँ और कल हो वहाँ ये जोगी वाला फेरा था
सदा रहा है इस दुनिया में किसका आबू-दाना
चल उड़ जा रे पंछी …

इस लाइन में कहा गया है कि ख़त्म हो गए वो दिन डाली के जिस पर तेरा बसेरा था यानी इन्सान तु जिस घर में रहता था वहां रहने का तेरा समय अब ख़त्म हो चुका है आज यहां और कल वहां ये तो जीवन का फेरा है जो ऐसे ही चलता रहेगा।ये जोगी यानी कि साधु संतों की तरह इधर-उधर भड़कानेवाला फेरा है, सदा इस दुनिया में किसका रहा है आबू दाना यानी दाना पानी।चल अब तेरा भी जाने का समय आ गया है।

तूने तिनका-तिनका चुन कर, नगरी एक बसाई
बारिश में तेरी भीगी काया, धूप में गरमी छाई
ग़म ना कर जो तेरी मेहनत तेरे काम ना आई
अच्छा है कुछ ले जाने से देकर ही कुछ जाना
चल उड़ जा रे पंछी …

इस लाइन में कहा गया है कि तिनका तिनका चुन कर तुने एक नगरी बसाई थी।बारिश में तेरी काया यानी शरीर भी भीगा था, धूप में पसीना भी खूब बहाया था, ग़म ना कर जो तूने मेहनत की थी वो तेरे ही काम नहीं आई इस बात पर,अच्छा है कुछ ले जाने से तो कुछ देकर जाना।चल पंछी अब तु उड़ जा ये देश तेरे लिए अब पराया हो चुका है।

भूल जा अब वो मस्त हवा वो उड़ना डाली-डाली
जब आँख की काँटा बन गई, चाल तेरी मतवाली
कौन भला उस बाग को पूछे, हो ना जिसका माली
तेरी क़िस्मत में लिखा है जीते जी मर जाना
चल उड़ जा रे पंछी …

भूल जा अब वो मस्त हवा और उड़ना डाली डाली जब आंख ही  काँटा बन गई और चाल भी बदल गई,कौन भला उस बाग को पूछे जिसका कोई माली ना हो यानी कि जब इन्सान का शरीर ही साथ ना दे रहा हो तो उसका हाल कौन पूछेगा,तेरी किस्मत में उसी समय लिखा था जीते जी मर जाना। चल उड़ जा पंछी की भाती अब ये देश तेरे लिए बेगाना हो चुका हैं।

रोते हैं वो पँख-पखेरू साथ तेरे जो खेले
जिनके साथ लगाये तूने अरमानों के मेले
भीगी आँखों से ही उनकी, आज दुआयें ले ले
किसको पता अब इस नगरी में कब हो तेरा आना
चल उड़ जा रे पंछी …

इस लाइन में कहा गया है कि रोते हैं वो पंख और पखेरू यानी अब तक जो लोग तेरे साथ रहे थे और सारे सुख दुख तेरे साथ देखे थे वो सब खूब रोएंगे,जिसके साथ तुने बहुत सारे अरमान लगाए थे,भीगी आंखों से ही तु आज उसकी दुआएं लेले और इस संसार से चला जा।

रूपल दवे “रूप”

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