ईश्वर के प्रति विश्वास (लघुकथा) – लेखक श्रीनिवास एन

एक देहात में देवभक्त रहता है। उसे प्रभू के बारे में जानने की इच्छा है ।उस गांव में लोगों के पास जाकर ,मै प्रभू को देखना चाहता है। प्रभू कैसे होते? वहां लोगों ने कहां कि प्रभू करुणामई सर्वव्याप्त होता है। तुम देखो। मुझ को दिखाई नहीं है। वह दूसरा गांव जाता है। उस गांव में लोगों के पास जाकर मै प्रभू को देखना चाहता हूँ। प्रभू कहा होते? वहां के लोग कहा कि प्रभू सभी को समान रूप से देखते है।
तुम चलो। मंदिर में जाकर वहां भक्तों से पूछा। वे कहा कि प्रभू सृष्टिकर्ता है। मुझ को आंखों खराब होता है। इसलिए मैं प्रभू को देखना चाहता हूँ।
अरे! अब मैं क्या करना?
तुम मंदिर से रहकर प्रभू की कीर्तन भजन सुनो, तब प्रभू दर्शन होता है।
मैं प्रभू को कैसे देखने है,मुझे आंखों खराब होता है। तुम विश्वास से प्रतीक्षा करे तो प्रभू दर्शन होता है। यही मेरी विश्वास है।
श्रीनिवास एन