कर्मों की श्रृंखला ( लघु कथा) — गिरीश गुप्ता

माधवी आज बहुत परेशान थी। उसने गर्मी की छुट्टियों में पूरे परिवार के साथ नैनीताल जाने का प्रोग्राम बनाया था। इसको लेकर वो बहुत उत्साहित भी थी, क्योंकि बहुत समय बाद उसको कहीं जाने का मौका मिला था।
लेकिन उसके बॉस ने अंतिम समय में उसकी छुट्टियों को रद्द कर दिया ,यह कहते हुए कि ऑफिस में बहुत जरूरी काम है तो उसकी छुट्टी नहीं मिल सकती। उसने बहुत कोशिश की ,बॉस को मनाने की लेकिन वो नहीं माना। अब क्या करें ,क्या ना करें इस बात को लेकर वह बहुत परेशान थी।
इसी बीच उसकी कामवाली का फोन आता है कि उसके घर में अचानक कोई बहुत बीमार हो गया है तो वह तीन-चार दिन नहीं आ सकती। यह सुनकर माधवी उस पर बहुत झुंझला जाती है कि तुम ऐसे ही छुट्टियां लेती रहती हो, घर का काम कौन करेगा ?
और अपनी कामवाली को डांट के बोलती है कि अगर तू नहीं आई तो मैं तुझे नौकरी से निकाल दूंगी।
गिरीश गुप्ता