Uncategorized

लालच बुरी बला  // लेखिका डॉ मीरा कनौजिया

 

रामू और श्यामू दोस्त , एक साथ स्कूल में पढ़ते थे।
सातवीं कक्षा के छात्र दोनों ,एक साथ पढ़ते-खाते खेलते। एक बार रामू और श्यामू विद्यालय ग्राउंड में निकल गए ,वहां जामुन का एक पेड़ था।राम और श्यामू ने जामुन मीठे मीठे तोड़कर खाए ।

रामू ने श्यामू से कहा जल्दी चलो श्यामू, टाइम ज्यादा हो गया। इंटरवेल खत्म हो गया, टीचर हमको डाटेंगी।
लेकिन श्यामू नहीं मान रहा था, जामुन के पास मधुमक्खी का छत्ता भी था। श्यामू को शहद बहुत पसंद था।। रामू छत्ते को तोड़ने का प्रयास करने लगा, रामू मना कर रहा था।

मुश्किल से श्यामू को रामू बुला पाया, क्लास में आ गए। रात जब श्यामू बिस्तर पर लेटा तो उसको वही मीठा शहद वाला मधुमक्खी का छत्ता दिखाई दे रहा , कि कैसे हम शहद को खाएं।
अब क्या था ?चुपचाप से श्यामू, स्कूल में पीरियड गोल करके, रामू को बिना बताए, जामुन के पेड़ पर चला गया , जाकर मधुमक्खी के छत्ते को छेड़ दिया। छत्ता थोड़ा नीचे लगा हुआ था, उसने लकड़ी से छत्ते को कुरेद दिया।

छेड़ते ही मधुमक्खियां निकल कर उसके मुंह और शरीर पर चिपट गई, पूरा मुंह सूज गया।

चौकीदार झट मेडिकल रूम में दवा लगाने ले गया। रामू और टीचर ने देखा कि यह तो श्यामू है। मना करने पर भी नहीं माना। शहद खाने के लालच में उसको इतना दर्द हुआ।

जिसका फल उसकोभुगतना पड़ा।
इसीलिए कहते हैं लालच बुरी बला है।

डॉ मीरा कनौजिया काव्यांशी

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!