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लघु कहानी .. बदलती पीढ़ियाँ // लेखक नरेंद्र त्रिवेदी

 

मधुभाई पुराने फिल्मी गीतों के शौकीन थे।हररात विविध भारती पर पसंद के गीतों को सुनते थे।और के साथमें गुनगुनाया करते थे।आज, उनकी पसंद का गाना ‘नन्ना मुन्ना राही हूं, देशका सिपाई हूं, बोलो मेरे संग जय हिंद, जय हिंद’ बज रहा था। मधुभाई भी साथ गाने में संलग्न थे। टिनू मधुभाई के पोते दादाजी को सुन रहा था। जब गीत खत्म हो गया, तो टिनू ने पूछा, “दादाजी मैंने पहलीबार यह गाना सुना, आप कैसे जानते हैं?दादाजी आप साथमें गा रहे थे। मुझे मज़ा आ गया।”

“बेटा, यह गीत बहुत कुछ था जब हम छोटे थे। हमारे देश को ताजा स्वतंत्रता मिली थी इसलिए सर्वत्र देशभक्ति का माहौल था। यह एक बहुत पुराना गीत है, इसलिए आपकी पीढ़ी को यह पसंद नहीं है।”

“दादाजी, मुझे गाना पसंद आया, मैं एक छोटा सैनिक भी बनूंगा।”

“हाँ, आप भारत के भविष्य के सेनानी हैं। आपको अगली लड़ाई से लड़ना होगा। बेटा, 26 जनवरी, हमारा गणतंत्रदिन है। राजपथ पर… नौसेना, सैन्य और वायु सेना पर तीनों पंख के सेनानी मार्च करेंगे। मार्चमे हमारे अलग अलग प्रांतोकी वेशभूषा, आदि होंगी। आप उस मार्च को देखिए ओर हमारे देश की विविधता को पहचानिए।

26 जनवरी दोपहर में परेड देखने के बाद टिनने कहा, “दादाजी, मुझे बहुत मज़ा आया। मैं बड़ा हो जाऊंगा और वायु सेना में एक पायलट बन जाऊंगा।”

मधुभाई का मुंह एक हल्की रेखा के साथ पंक्तिबद्ध था कि अगर यह माहौल देश के सभी बच्चों में जमे हुए है, तो कोई भी भारत और भारत के विकास को महाशक्ति बनने से नहीं रोक सकता है। बस बदलती पीढ़ीके साथ सही दिशामें समन्वय करने की आवश्यकता है।

नरेंद्र त्रिवेदी।(भावनगर-गुजरात)

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