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मेहनत की कमाई // पालजीभाई राठौड़

 

‌छोटा सा गांव में शेठ को छोटी सी दुकान थी।शेठ शहर में माल खरीदने जाता, सारा दिन व्यापार करता बहुत कड़ी मेहनत कर के छोटी सी दुकान में से बड़ा व्यापारी बन गया। शेठ नगरपति से करोड़पति बन गया। मगर लालच बुरी चीज होती है। शेठने सोचा;’मेरे पास पैसा आ गया है सट्टा बाजार में ध्यान दू, ब्याज वटाव में से बिना मेहनत कमाई कर के सारी आमदनी प्राप्त कर सकता हूं।’
अब हुआ यूं की व्यापार में जो किसानों के पास से माल खरीदा था भाव गीर गया। सट्टा में भी बड़ा घाटा भूगतना पड़ा।व्याज वटाव में भी ज्यादा नाणा डूब गया और शेठ के पास किसानों को देने के नाणा भी न बचा।शेठ करोड़पति में से रोड़पति सा बन गया।
शेठ निराश होकर बैठें बैठें सोचता था क्यां करूं? वो सब कैसे संभालू? शेठानी बहुत समझदार थी उसने कहां;’शेठ चिंता मत करो,पहले हमारे पास क्या था? छोटी सी दुकान में से जो आपने मेहनत कर के कितनी कमाई की थी तो अब फिर से दुकान में ध्यान दो।मेहनत करो सब अच्छा होगा।’ “मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती।” “परिश्रम पारसमणी है।” कर्म से ही मनुष्य महान है।कर्म रूपी चाबी से ही भाग्य रुपी दरवाजा खुलता हैं। अच्छा कर्म और दिल से मेहनत करेंगे तो आप फिर से खड़ा हो पाएंगे।’
शेठ को शेठानी की बात समझ में आई फिर से कड़ी मेहनत की और मेहनत की कमाई रंग लाई। शेठ का व्यापार फूला फाला और चैन की सांस ली।किसानों को नाणा की भी भरपाई हो गई और सुख शांति से व्यापार करने लगा।

पालजीभाई राठोड़ ‘प्रेम’ सुरेंद्रनगर गुजरात

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