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नशा नाश की जड़ // लेखिका सुनीता तिवारी

 

मेरे पड़ोस में रहने वाला सॉफ्टवेयर इंजीनियर अमित
भरे पूरे परिवार का लड़का था।
बहुत ही शालीन,सुसंस्कृत भी।
वह एक बेटी का पिता बन चुका था।
अचानक नौकरी छूटने का घर वालों को पता लगा।
वह अवाक रह गए जब पता चला कि नौकरी शराब पी कर आफिस जाने के कारण छूटी है।
माता पिता बीबी,भाई बहनों ने बहुत कोशिश की,परन्तु उसने शराब पीना बंद नहीं किया।
बेटी अब छह बर्ष की हो गयी थी और वह अपनी माँ के साथ मारपीट और गाली गलौज का माहौल देख रही थी।
अचानक अमित की पत्नी ने उसे छोड़ कर अपने मायके जाने का निर्णय ले लिया।
घर के बड़ों को भी बच्ची के बिगड़ने की चिंता थी उन्होंने सहर्ष बहू को आज्ञा दे दी।
वह अगले दिन ही अपने पीहर चली गयी।
शराब पीने की लत के कारण बेरोजगार अमित दिन रात पी कर यहाँ वहाँ पड़ा रहता।
उसके पिता उसे खोज कर लाते।
कभी कभी गुस्से में उसकी पिटाई भी करते।
परंतु उस पर कोई असर न देख हार मान गए।
एक दिन इसी चिंता में उनका हार्ट
फेल हो गया।
अब मां उसे सम्भालने में अक्षम हो गयीं।
नशामुक्ति केंद्र में समाचार पहुँचाया।
20 हजार रुपये में बात हो गयी।
नशामुक्ति केंद्र वाले उसे पकड़कर ले गए।
आठ माह तक वहाँ ठीक से रहते हुए देख कर माँ का दिल पसीज गया और वह उसे छुड़ा कर ले आईं।
दो दिन ठीक रहकर तीसरे दिन से फिर कुछ शराबी लड़के आने लगे और पूरी तरह पीना चालू कर दिया।
अब माँ को कोई रास्ता न सूझा फिर से उसे बंद करवा दिया।
इस तरह एक बसा बसाया परिवार उजड़ गया था।
चाहे रईस हो या निर्धन,यदि नशे की लत पड़ गयी तो शरीर खोखला करके वह भगवान को प्यारा हो ही जाता है।
इस बुराई को जड़ से खत्म करने का प्रयास करना चाहिए।

सुनीता तिवारी

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