शादी के पहले का ओर बाद का जीवन // लेखक नरेंद्र तत्रिवेदी

शादी से पहले जीवन स्वतंत्र होता है।ओर समय जन्म से लेकर युवानी तक होता है। ओर केवल मुख्य उद्देश्य अध्ययन करना रहता है। माता -पिता के साथ रहना और खाना, खिलाना और पीना मुख्य प्रवृति रहती है। फिर अपनी पढ़ाई पूरी करके नौकरी या व्यवसाय में बसना होत है। इस समय के दौरान, अधिकांश माता -पिता की बच्चों पर कोई जिम्मेदारी नहीं होती है। मैं भी इस स्थिति से गुजरा हूं। मेरे पास नौकरी में अध्ययन और बसने की सभी सुविधा थी। अध्ययन के अंत में बैंक की नौकरी मिली। ज्यादातर में मातापिताके साथ ही रहा हूँ।वो भी एक नसीब होता है।
आमतौर पर सही जीवन साथी की खोज युवानी के प्रवेश के साथ शुरू होती है। मुझे भी सही जीवन साथी मिली है। स्कूल, कॉलेज में लेखन कार्य आमतोर पर चल रहा था, लेकिन मेरे जीवन साथिको पाए जाने के बाद उर्मिओ का प्रवाह बह रहा था। वही केंद्र और कहानियों का केंद्र रही है, कविताएँ, वार्ताए, लेख लिखे गए। आज भी, यह समर्थित है और लेखन का काम चल रहा है।
विवाह जीवन कई पहलुओं से गुजरता है। और फिर एक सच्चे जीवनसाथी, विवाह का परीक्षण और जीवनका परीक्षण किया जाता है। हम भी कई अच्छी-बुरे नसों से गुजरे हैं और एक -दूसरे की गर्मजोशी से साथ चले हैं। नौकरी के दौरान, स्थानांतरित होने पर विभिन्न स्थान समस्या के साथ रहे हैं। यदि विवाह को नुकसान पहुंचाने का कोई कारक है, तो यह एक बहस और बहस ही है। हमारे जीवन में ऐसे कोई अवसर आये और निकल गए। आज भी, शादी उसी गति से बह रही है जैसे की शुरुआत में थी। संक्षेप में कहा जाय तो अच्छा जीवन साथी स्वर्ग पाने के बराबर ओर एक ईश्वरीय आशीर्वाद होता है। जो मुझे मिला है।
नरेंद्र त्रिवेदी।(भावनगर-गुजरात)