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वीर योद्धा,अमर सिंह राठौड़ जी // लेखक राम सेवक गुप्ता

११ दिसंबर १६१३ ईसवी को मारवाड़ राज्य वर्तमान में जिला नागौर राजस्थान में, प्रसिद्ध राजपूत शासक ने जन्म लिया था।जब परिवार द्वारा निर्वाचित करने के पश्चात आपको मुगल बादशाह शाहजहां ने अमर सिंह राठौड़ के पराक्रम और वीरता से प्रभावित होकर नागौर जिले का सूबेदार नियुक्त किया था।। उनकी बहादुरी और युद्ध कौशल का डंका, मारवाड़ में ही नहीं अपितु पूरे हिन्दुस्तान में बजने लगा, हर कोई राजा दिलेर अमर सिंह राठौड़ को अपने खेमे में शामिल करने की जुगत करता था।
मुगल सम्राट शाहजहां ने अमर सिंह राठौड़ को सम्राट शाही सम्मान का खिताब दिया था।। नागौर और समस्त मारवाड़ राज्य में अमर सिंह जी को कराधान अनाधिकृत बसूलने की जिम्मेदारी सौंपी गई, जिससे खफा होकर,अमर सिंह जी ने तत्काल अपना विरोध दर्ज कराया।। जिससे बादशाह सलामत का साला शलाबत ख़ान बहुत क्रोधित हुआ, लेकिन युद्ध के महारथी अमर सिंह जी को समझा-बुझाकर वापिस नागौर भेज दिया, किन्तु कुछ दिनों पश्चात,अमर सिंह राठौड़ की दूसरी पत्नी रानी हांडा का गौना कराने हेतु, बून्दी जाने के लिए, महाराजा शाहजहां से ७ दिवस का अवकाश मांगा, जिसे बादशाह शाहजहां ने मंजूर तो किया और शर्त रखी कि ७ दिनों तक नहीं आने पर आपको एक लाख रुपया जुर्माना राजकोष में जमा कराना होगा,यह सुनकर वीर योद्धा अमर सिंह हां कहते हुए बून्दी के लिए प्रस्थान हुए।।
गोंना के पश्चात बिलंब से आने पर भरे दरबार में शाहजहां के साले शलाबत खान ने अमर सिंह जी का अपमान किया,तो वीर योद्धा ने तत्काल उसका वध कर दिया।।और चुनौती दी कि कोई भी मुगल सम्राट मुझसे लड़ाई में जीत जाएगा,तो मैं अपना सिर झुकाकर बादशाह के सामने आत्मसमर्पण कर दूंगा।।मगर कोई हिन्दू या मुसलमान राजा युद्ध के लिए तैयार नहीं हुआ,जब अमर सिंह राठौड़ का साला अर्जन गौड़ ने सुना तो वह बादशाह के इना�

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