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वो बचपन की यादें // बीना पाटनी

 

आज भी मेरे जेहन में वो यादें जिंदा है , होंगी कैसे नहीं उन यादों को कौन भूल सकता है।एक उम्र बीत जाने के बाद वो ही मीठी सी यादें होती है जिन्हें याद कर आधरों पर मुस्कान आ जाती है,वो सखियां जिनके साथ न जाने कितनी गुफ्तगू की वो गांव की टेढ़ी – मेड़ी पगडंडी जिसमें चलते वक्त एक दूसरे को धक्का देके नीचे गिरना न जाने कितनी मीठी यादें हृदय के किसी कोने में आज भी समेटे हूं , जब कभी पलटती हूं उन बीते पन्नो को कभी मुस्कान तो अश्रु निकलते है, समय कितनी तेजी से भाग रहा है पता ही नहीं चला , ऐसा लगता है कल की ही तो बात है जब साथ – साथ खेले थे न जाने कब बीते ये मीठे पल कब बड़े हुए कब इन जिम्मेदारियों के तले दब गए , जिंदगी के सबसे हसीन खुशनुमा पल थे वो, काश एक बार फिर जीने को मिले वो पल अगर भगवान मुझसे कुछ मांगने को बोले तो मैं बस उन्हीं पलों को मगना चाहूंगी जो बीत गए।
बीना पाटनी स्वरचित मौलिक पिथौरागढ़ उत्तराखंड

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