देश द्रोही बेटी — उपन्याकार पुष्पा भाटी की कलम से

यह काल्पनिक भावनाओं पर आधारित घटना है। जो कि देशद्रोही के बेटी अंग्रेज से प्रतिशोध लेकर अपने गद्दार पिता पर लगे देश द्रोही के कंलक को धोकर उसे एक सच्चा हिन्दुस्तानी बना देती है।
इसमे एक हिन्दुस्तानी निडर बेटी की हिम्मत और सहास की सटीक कहानी का वर्णन किया गया है!
अंग्रेजों ने सच्चे हिन्दुस्तानी की अक्ल पर दौलत रूपी पर्दा डालकर उसे देशद्रोही बना दिया है उसके सामने बेबस हसीनो की आबॅरू का अजीब हादसा रौंगटे हुंकार रहा था। (अंग्रेज मिलिटेंटों के मालिक हिन्दुस्तानी हितेष के नाम का माल गोदाम चला रहे है ,उसके सामने ही उसका गोदाम एक मयखाने मे तब्दील , ये सब देखकर हितेष की धड़कनों में आग की चिंगारियां उठने लगी। उसने अंग्रेज से पूरी दृढ़ता के साथ बात करते हुए कहे ….
“तुम्हारा ये स्वप्न सुनसान उजाड़ में आग लगा देने वाला है। ओफिसर।”
(ये सब आवाज कानो मे सुनाई पड़ते ही )
अंग्रेज ने क्रोध भरे ओजस्वी स्वर में चिल्लाते हुए कहा- “आज तक मेरी बगियां में फूल तोड़कर मुझे माला पहनाने वाला तु मुझे एडवाइज देगा
तु तेरी बकवास बन्द कर !
हितेष ने अपनी बात पर लगाम न देते हुए कहा- यह नौबत मेरे कारण ही आई है ओफिसर। अंग्रेज ने कड़क आवाज में कहा- !जिसकी रगों में हिन्दुस्तानी खून होता है उन्हें प्यार नहीं बेकरार की नजरों से देखा जाता है मि.!
हिना व्यंग्यपूर्ण ओजस्वी स्वरों में हितेष को डांटते हुए कहती है। तूने मेरी बेकसूर आबरू को अपने मयखाने में उड़वाया, क्या पिता होने के नाते आपका कोई फर्ज नहीं था , मैं हिन्दुस्तान की एक नारी हूं। आप उन गुण्डों को मार भी सकते थे। तुम्हारे कारण ही था मेरा अपहरण। क्योंकि मैं तो अबला हू ।
हितेष ने अंग्रेज की धमकी को मस्तिष्क में दोहराते हुए हिना की बातों का धैर्यपूर्वक उत्तर देते हुए कहा- लेकिन बेटा तुम अब मुझसे क्या चाहती हो? क्यों मुझ बेबस को शर्मसार करना चाहती हो
हितेष की आंखों में जुर्म के आंसू बहादुरी की आग में भभकने लगी
हिना ने रुआंसे स्वर में आंसु पौंछते हुए कहा- अंग्रेजों ने मेरे साथ जो जुल्म व अत्याचार किए उनका मैं (सिसकते हुए)… स्पष्ट वर्णन नहीं बता सकती। क्योंकि भारतीय पिता और पुत्री के बीच पवित्र मर्यादा का आवरण होता है। उसे उलटाया नहीं जाता।
एक हिन्दुस्तानी नौजवान बेटी की ऑबरू का खिलवाड़ करते हुए देखकर सब्र कर सकता हो
तुम उसके गुलाम हो ( जिसकी दुश्मनी हिन्दुस्तान की नारी व दौलत से हो चुकी है।)
दुनिया में कोई भी हिन्दुस्तानी ऐसा नहीं हो सकता जो दौलत के पलड़ों में झुक जाये व हिन्दुस्तानी नारी की शान को जुल्मों की लपटों में सजाये।
मैं आपकी बात मानता हूं। लेकिन दौलत को ठुकराया नहीं जाता बेटी
हिना अपने पिता की इस बात को सुनकर गुस्से में लाल होकर तेज स्वर में शेरनी की तरह गुर्राते हुए कहने लगी- यानी तुम दौलत को ही खुदा, मान-सम्मान, सब कुछ मान बैठे हो? हां। तुम जानती हो मैं कितना नमक हलाली हूं। तुम मेरी एकमात्र हिन्दुस्तानी बेटी ही नहीं, यहां तो हजारों का ब्लैकमेल हो रहा है…..
हिना ने करुणामय स्वर में चिल्लाते हुए कहा “पापा। मै हिन्दुस्तानी सिर्फ हिन्दुस्तानी बेटी हूॅ। आपकी करोड़ों की एम्पायर से …….
शेष कल