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आधुनिक शिक्षा प्रणाली में शिक्षक की स्थिति — अनीता चतुर्वेदी 

 

शिक्षा समाज की रीढ़ होती है, और शिक्षक इस व्यवस्था के केंद्र में होते हैं। आधुनिक शिक्षा प्रणाली में शिक्षक की भूमिका पारंपरिक गुरुकुल प्रणाली से लेकर डिजिटल युग तक कई बदलावों से गुजरी है। आज शिक्षक केवल ज्ञान प्रदान करने वाले नहीं हैं, बल्कि वे छात्रों के मार्गदर्शक, प्रेरणास्रोत और कौशल विकास के साधन भी बन गए हैं।
*परंपरागत शिक्षक आधुनिक शिक्षक में फर्क*

प्राचीन काल में गुरु ही ज्ञान का एकमात्र स्रोत होते थे, लेकिन आधुनिक शिक्षा प्रणाली में तकनीक, इंटरनेट और डिजिटल संसाधनों ने ज्ञान के कई द्वार खोल दिए हैं। अब शिक्षकों की भूमिका केवल पढ़ाने तक सीमित नहीं है, बल्कि वे छात्रों को जानकारी का सही उपयोग करना, आलोचनात्मक सोच विकसित करना और नैतिक मूल्यों को आत्मसात करना सिखाते हैं।

*आधुनिक युग में शिक्षकों की भूमिका*

अब अगर हम इस आधुनिक युग में शिक्षक की भूमिका की बात करे तो,आज ऑनलाइन कक्षाओं, स्मार्ट क्लासरूम, ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित शिक्षा संसाधनों का विस्तार हो रहा है। ऐसे में शिक्षक केवल किताबों तक सीमित नहीं रह गए हैं, बल्कि वे डिजिटल टूल्स के माध्यम से छात्रों को अधिक रोचक और प्रभावी ढंग से शिक्षित कर रहे हैं। हालांकि, यह बदलाव शिक्षकों के लिए एक चुनौती भी है, क्योंकि उन्हें निरंतर नई तकनीकों को सीखना और अपनाना पड़ता है।

*शिक्षक और छात्रों का संबंध*

यह एक बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा हैं,जिसपर हमें विचार करने की आवश्यकता है।
समय के साथ शिक्षक और छात्रों के संबंधों में भी बदलाव आया है। पहले शिक्षक का स्थान बहुत ऊंचा माना जाता था, लेकिन अब शिक्षक और छात्र के बीच संवाद अधिक मित्रतापूर्ण हो गया है। यह बदलाव सकारात्मक तो है क्योंकि इससे छात्रों को अपनी जिज्ञासाओं को खुलकर व्यक्त करने और सीखने की स्वतंत्रता मिलती है,पर कभी कभी ऐसा होना शिक्षक के प्रभाव को धूमिल भी करता है।

*शिक्षकों के सामने चुनौतियाँ*

आधुनिक शिक्षा प्रणाली में शिक्षकों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है:

तकनीकी ज्ञान: डिजिटल युग में शिक्षकों के लिए नई तकनीकों को अपनाना आवश्यक हो गया है।

बढ़ता कार्यभार: प्रशासनिक कार्यों के दबाव में शिक्षण कार्य पर ध्यान केंद्रित करना कठिन हो सकता है।

छात्रों की विविधता: विभिन्न पृष्ठभूमियों और क्षमताओं के छात्रों को समान रूप से शिक्षित करना एक बड़ी चुनौती है।

संवेदनशीलता और नैतिकता: शिक्षकों को छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य, नैतिक मूल्यों और सामाजिक समस्याओं के प्रति भी संवेदनशील रहना पड़ता है।

*भविष्य में शिक्षक की भूमिका*

भविष्य में शिक्षकों की भूमिका और अधिक बहुआयामी होगी। वे केवल पढ़ाने तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि वे मेंटर, करियर काउंसलर और मानसिक स्वास्थ्य समर्थक की भूमिका भी निभाएंगे। शिक्षकों को नई तकनीकों को अपनाने और खुद को लगातार अपडेट करने की आवश्यकता होगी, ताकि वे छात्रों की बदलती जरूरतों के अनुसार शिक्षा प्रदान कर सकें।

अंत में मैं यही कहना चाहूंगी कि आधुनिक शिक्षा प्रणाली में शिक्षक की स्थिति अब पहले जैसी नहीं रही। वे अब केवल ज्ञान देने वाले नहीं, बल्कि छात्रों को सोचने, समझने और नवाचार करने के लिए प्रेरित करने वाले मार्गदर्शक बन चुके हैं। हालाँकि, डिजिटल युग की चुनौतियाँ शिक्षकों के लिए कठिनाइयाँ भी खड़ी कर रही हैं, लेकिन उनकी भूमिका सदैव महत्वपूर्ण बनी रहेगी। शिक्षक ही वह शक्ति हैं जो समाज को सशक्त बनाती है और नई पीढ़ी को उज्जवल भविष्य की ओर ले जाती है।

अनीता चतुर्वेदी

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