“भारतीय संस्कृति और त्योहार ” — माया सैनी

परिचय_
विश्व भर में भारत ही एक ऐसा देश है जिसे त्योहारों का देश कहा जाता है। यहां विभिन्न धर्मों के लोग अपनी संस्कृति और परंपराओं के अनुसार अपने त्योहार मनाते है। त्यौहार चाहे किसी भी धर्म का हो लोग उसी धर्म और संस्कृति के रंग में रंगकर उस त्योहार को बड़े ही उत्साह और आनंद के साथ मनाते है। इसके साथ ही आपसी प्यार और सद्भाव की भावना देखने को मिलती है।
भारतीय त्योहारों की श्रेणियाँ—–
भारत में विभिन्न धर्मों के त्योहारों का अपना एक महत्त्व है। त्योहारों को मनाये जाने का एक विशेष कारण भी होता है फिर चाहे वो कारण धार्मिक, सांस्कृतिक या पारम्परिक भी हो सकता है। भारतीय त्योहारों को मुख्यतः तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है।
धार्मिक त्योहार——
भारत में हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई व अन्य धर्म को मानने वाले लोग रहते है। इन त्योहारों में जैसे – होली, दिवाली, दशहरा, रक्षाबंधन, कृष्ण जन्माष्टमी, इत्यादि अन्य त्योहार हिन्दुओं के मुख्य त्योहार है। ईद-उल-फितर, बारावफात, मुहर्रम, इत्यादि मुसलमानों के मुख्य त्योहार है। क्रिसमस, गुडफ्राइडे, ईस्टर जैसे त्योहार ईसाइयों के है।
दिवाली–
दिवाली को हम दीयों या रौशनी का त्योहार कहते हैं। इसे हिंदुओं के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक जाना जाता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि इसी दिन भगवान रामचंद्र ने अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या वापस आये थे। वनवास के दौरान राक्षस राज रावण ने सीता को धोखे से अगवा कर लिया था, इसी कड़ी में श्री रामचंद्र ने रावण को मारकर सीता को उसके चंगुल से आज़ाद करवाया था। अयोध्या वासियों ने श्री राम को अपने राज्य में वापस आने की खुशी में पुरे राज्य को दीयों से सजाया था। एक परंपरा के अनुसार अंधेरे और अज्ञानता को दूर भगाने के लिए दीयों और मोमबत्तियों से चारों ओर रोशनी की जाती है। सभी इस महान त्योहार को बहुत ही उत्साह और ख़ुशी के साथ मिलजुल कर मनाते है।इसी तरह सभी त्योहार बहुत खुशी के साथ मनाये जाते हैं।
क्रिसमस—-
ईसाई धर्म के लोगों के लिए यह सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण त्योहार होता है। लोग इसे ईसा मशीह के जन्मदिवस के रूप में पुरे हर्षोल्लास और उत्साह के साथ मनाते है। इस दिन क्रिसमस के पेड़ को खाश तौर पर सजाया जाता है, और चर्च में प्रार्थनाएं की जाती है। बाद में लोग आपस में मिलकर प्यार और सद्भाव को बाटते है और एक दूसरे को उपहार और बधाइयाँ भी देते है। इस दिन सांता क्लॉस बच्चों के लिए उपहार लाता है और बच्चे उपहार पाकर बहुत ही प्रसन्न होते है।
ईद-उल-फितर——
मुख्य रूप से मुसलमानों का यह एक बड़ा त्योहार है। यह रमजान के पवित्र महीने के बाद मनाया जाता है। इस दिन बच्चे, बड़े सभी मस्जिदों में नमाज अदा करते है और एक दूसरे को शुभकामनाएं और बधाइयां देते है। बड़े बच्चों को ईदी के रूप में उपहार देते है और बच्चे बहुत ही प्रसन्न होते है। इस दिन उनके घरों में सेवइयां और विभिन्न प्रकार के पकवान बनाये जाते है और सभी अपने मित्रों, रिश्तेदारों को दावत के लिए आमंत्रित करते हैं।
निष्कर्ष—-
वैसे तो त्योहारों का आना-जाना सालभर लगा रहता है, लेकिन इस समय एक के बाद एक त्योहार हमें खुशियां देने के लिए तैयार हैं। धनतेरस, छोटी दीवाली, बड़ी दीवाली, भैया दूज, क्रिसमस और फिर नए वर्ष का स्वागत भी किसी त्योहार से कम नजर नहीं आता।
माया सैनी