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देश द्रोही की बेटी 5.– उपन्याकार पुष्पा भाटी की कलम से 

 

लेकिन इस हिन्दुस्तानी मर्दानगी में अनोखी क्या बात है सर। (उसने उभरती हुई लाल आंखों से देखते हुए कहा)

वैसे हिना स्वयं यहां मौजूद है इन्हें अपनी बात कह देनी चाहिए।

हिना मेरी बेटी है। और मैं नहीं चाहता कि यह कंगालों की तरह अपनी जिन्दगी काटे। हितेष ने अपनी कमान भरी आवाज को सम्भालते हुए कहा। क्या तुम चाहोगे कि तुम्हारी बेटी उम्र भर भिक्षा मांगते हुए राहों में आहें भरती रहे। यह आवाज उसकी करुणामय रस भरी थी।
सीधे आप मेरे जनाजे के हादसे की तस्वीर सजा रहे हो।
जबकि मैं अपनी जिन्दगी को उनकी दी अमानत मानता हूं।
मिल टैंट के अंग्रेजों ने तुम्हारी हर हरकत की कमान को तीरों में भर लिया है। क्या यह सच नहीं है?
एकदम सच है। लेकिन मैं करोड़पति हूं। हिना की हरकतें मेरे दौलत की खातिर हो रही है।
तुम जानते हो अंग्रेज लोग जिनकी मौत का फतवा जारी कर देते हैं। उनका बच पाना असम्भव होता है। इस समय अंग्रेज लोग सिर्फ भारतीयों को मार गिराने में घूम रहे हैं। अभिषेक ने वात को टोकते हुए कहा। तुम्हारी मर्दानगी अब सिर्फ दौलत में तड़पती हुई लाश बनकर रह गई है। धन लोलुप इन्सानों की मर्दानगी का नाच उनकी बहिन बेटी को बनाया जाता है। क्या सभी आवारा जानवर की तरह घास चरा करते हैं। खुद आपके बुजुर्गों ने अग्रेजों की गुलामी नहीं सही। और लम्बा मर्दानगी जीवन निभाया है। जबकि आज पारिवारिक मर्यादा लुप्त है। इन्सान में आबरू के अलावा कोई बड़प्पन नहीं होता।

ये सब फैन्सी बातें हैं, ब्रिगेडियर साहब। नहीं। हितेष ब्रिगेडियर
ने दृढ़तापूर्ण स्वर में कहा। ‘यह सच
है जब मै’ जंग में था। तब अंग्रेजों ने मुझे करोड़ों का खजाना दिखाया था लेकिन आप…?
मैं उस वक्त ब्रिगेडियर भी नहीं था। मामूली सिपाही हुआ करता था। फिर।
फिर सिर्फ मैं अपने कर्त्तव्य को अदा करते हुए संघर्ष करता रहा। कई घण्टों की बातचीत के बाद हितेष वापसी रवाना हो गया।

ब्रिगेडियर अभिषेक व हितेष की दूसरी मुलाकात के दौरान। हिना वहीं पहुंच जाती हैं, जहां हरे-भरे लॉन में अभिषेक व हितेष के बीच हिना की घटना वाली बातचीत पर प्रतिक्रियाएं व व्यंग्यपूर्ण तानाकशी चल रही होती है। वहां पहुंचकर हिना हितेष के सामने मैरिज का ओफर रखते हुए खामोशी भरे ख्यालों में खड़ी हो जाती है। हितेष हिना के प्रस्ताव का पढ़कर कुछ देर सोचने के बाद हिना पर पैनी दृष्टि डालते हुए कहता है। कबूल। हजार बार कबूल लेकिन हमारे स्टेटस में फर्क है बेटी। मैं एक उद्योगपति हूं। मैं नहीं चाहता कि मेरा दामाद एक सरकारी कफन बांधे पुलिसिया हो…

मैंने सोचा था, मेरी इकलौती बेटी है। मेरे सभी सपने साकार ….. continuing

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