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फुलेरा दूज के अबूझ सावे में शादियों की रही धूम

फुलेरा दूज के अबूझ सावे में शादियों की रही धूम

जयपुर । फुलेरा दूज के अबूझ सावा पर शादियों की धूम रही। सैकड़ों जोड़े परिणय सूत्र में बंधे। दिन में थाम रोपण, सिंयाला की रस्म हुईं। शाम को बैंड बाजा, बारात की धूम रही। ऑल वेडिंग इंडस्ट्रीज फेडरेशन के महामंत्री भवानी शंकर माली ने बताया कि जयपुर जिले में फुलेरा दोज के अबूझ सावे पर 3 हजार से अधिक शादियां हुई । शादियों से 3 करोड़ रुपए का व्यापार हुआ।
फुलेरा दोज के अवसर पर एकल विवाह के साथ- साथ अलग-अलग जगहों पर सामूहिक विवाह के आयोजन संपन्न हुए। रामसिंहपुरा सांगानेर एसडीएम कोर्ट के पास श्री कृष्ण यादव (अहीर) का सामूहिक विवाह सम्मेलन आयोजित किया गया। जिसमें समाज के गणमान्य लोगों ने बढ़-चढ़कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। आयोजित समिति के ओमप्रकाश चित्तौस्या ने बताया कि अहीर समाज के 65 जोड़े परिणय सूत्र में बंधें।
सामूहिक विवाह आयोजन समिति गुर्जर समाज के तत्वावधान में आदर्श नगर के दशहरा मैदान सामूहिक विवाह सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें 20 जोड़ों का सामूहिक विवाह संपन्न हुआ। समिति के अध्यक्ष गोविंद पोसवाल ने बताया कि जोड़ों को सोने की रखड़ी,चांदी की पायल,फ्रीज,कूलर,वाशिंग मशीन,डबल बेड सहित घरेलू सामान भेंट स्वरुप दिया गया। वहीं मान बाग मैरिज गार्डन,200 फुट बाईपास,निवारु रोड पर दधीचि परिषद संस्थान का पंचम सामूहिक विवाह सम्मेलन हुआ। परिषद के अध्यक्ष रामेश्वर दाधीच ने बताया कि 11 जोड़े परिणय सूत्र में बंधे।
भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी के प्रेम को समर्पित फुलेरा दूज पर मंदिरों में विशेष झांकियां सजाई गई। मंदिरों में राधा कृष्ण दोनों ने फूलों की होली खेली। गोविंद देव जी मंदिर में गजराज की भगवान विष्णु से ग्राह से छुटकारा दिलाने की पुकार करते हुए की रचना झांकी सजाई गई। वहीं मंदिरों में दाम्पत्य जीवन में खुशहाली के लिए श्रद्धालुओं ने राधा कृष्ण का पूजन किया। पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के बाद उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र, मीन राशि के चंद्रमा, साध्य योग, बालव करण और त्रिपुष्कर योग होने से फुलेरा दूज के शुभ मुहूर्त में विवाह के अलावा गृह प्रवेश, संस्कार भी जमकर हुए।

7 मार्च से होलाष्टक शुरू होंगे, जो 14 मार्च तक रहेंगे। इस दौरान कोई मांगलिक कार्य नहीं होंगे।

14 मार्च को शाम 6:50 बजे सूर्य मीन राशि में प्रवेश करेगा। इसके साथ ही मीन मलमास शुरू होगा, जो 13 अप्रैल तक चलेगा। इस दौरान विवाह कार्यों पर रोक रहेगी।

फुलेरा दूज के बाद 6 अप्रैल को रामनवमी, 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया, 5 मई को जानकी नवमी, 12 मई को पीपल पूर्णिमा, 5 जून को गंगा दशमी और 4 जुलाई को भड़ल्या नवमी का अबूझ मुहूर्त रहेगा। आगामी विवाह मुहूर्त 5 और 6 मार्च को रहेंगे। अप्रैल में 14, 16, 18, 19, 20, 21, 25, 28 और 30 तारीख को विवाह होंगे। मई में 1, 5, 6, 7, 8, 13, 15, 17, 24 और 28 तारीख को शुभमुहूर्त रहेगा। जून में 1, 2, 4, 7, 8, 9 और 10 तारीख को विवाह होंगे।

इसके बाद 14 जून को गुरु सुबह 7:05 बजे पश्चिम दिशा में अस्त हो जाएगा। 6 जुलाई से देवशयनी एकादशी के साथ विवाह कार्यों पर रोक लग जाएगी। 1 नवंबर को देवउठनी एकादशी के बाद फिर से मांगलिक कार्य शुरू होंगे।

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