लघुकथा “सुपर वुमन” — नरेंद्र त्रिवेदी

आज यमलोकमें सभी परेशान थे। कोई दिन नहीं और आज चित्रगुप्त और यमराज यम गेट पर खड़े थे और किसी के आने का इंतजार कर रहे थे। ऐसा पहेले कभी नही हुआ था।यमलोकमे एक अंदरूनी सूत्र की बात थी कि पृथ्वी से किस तरह की आत्मा आएगी कि स्वायम चित्रगुप्त और महाराज मौजूद थे।
एक यमदूत एक महिला की आत्मा को लेके आया, चित्रगुप्त और यमराज ने बधाई दी। यमराजने देखाकी सबकी नजरमें मेने ऐसा क्यूँ लिया वो जाननेकी इन्तेजारी है। “आप सभी जानना चाहते है कि मैंने इस आत्मक स्वागत क्यों किया।”
“पृथ्वीलोक में अब किसीको बेटी पसंद नही है। ऐसा नही है की लोगोको बेटी पसन्द नही थी, सबको पसन्द थी पर पृथ्वी लोकमे बेटी आत्माकी सुरक्षाकी विषयमें बहुत असुविधाएं हो गई है। ओर ये सभी बढ़ता सोशियल मीडियाके व्यापका परिणाम है। फिरभी इस आत्माने बेटी बनके पृथ्वीलोकमे जानेका फैसला किया और जन्म लिया। इस आत्माने पृथ्वीलोकमे बहुत मुश्केली होने के बावजूद विभिन्न पात्रों को आनबान शानसे खेला ओर उसके बाद जीवन के अंत तक पहुंच गया …..ओर आज यहाँ आ गया।”
“महाराज इसमे नई बात कया है सभी आत्माको पृथ्वीलोक पर अपना किरदार अदा करना पड़ता है। आप इतनीसी छोटी बातके लिए उसका स्वागत करने खड़े हो गये।”
“आपकी बात सही हैं, लेकिन इस महिला आत्माको कोइ भी चरित्र में कहीं भी विफल होने की अनुमति नहीं थी ओर आत्माने बिना विफल हुए अपना सभी किरदार बखूबी निभाया। यही वजह है कि यह यमलोक की एक सुपर महिला है, न कि पृथ्वीलोक की।अब समझ मे बात आई की हम दोनों इसके स्वागत मे क्यू खड़े थे?”
नरेंद्र त्रिवेदी(भावनगर-गुजरात)