माफी मांगना आसान है प्रेम समाधान है // प्रेममणी एसलीना

आमतौर पर सब लोग गलतियां करते है या ये भी कह सकते है की इंसान होने के नाते प्रत्येक व्यक्ति से गलतियां हो जाती है,
लेकिन अपनी गलतियां किसे नजर आती है,क्योंकि हम तो औरों में गलतियां ढूंढते रहते है या यों कहें की हमे हमेशा औरों की गलतियां दिखती है।
इसके साथ ही इंसान गंभीर से गंभीर गलतियां करता और आसानी से माफी मांग कर शान से घूमता है।
लेकिन किसी को चोट पहुंचाने के बाद एक माफी किसी चोटिल ह्रदय को इतनी आसानी से जोड़ सकती है???
क्या उसके गुजरे पलो के दर्द का भुगतान कर सकती है,क्या गुजरे पल में दुख के हालातो में बिताए हुए आसुओं की कीमत इतनी आसानी से
चुकाई जा सकती है???
किसी की बुराई कर,अपमानित कर
किसी के जीवन को खराब कर,
उसकी मानसिक और शारीरिक स्थिति को हम प्रभावित कर देते है,
हर बात में किसी को नीचा दिखाना, ताने मरना,और खुद को समझदार और सर्वगुण समझना बहुत लोगो की आदत में शुमार होता है।
और इसके बावजूद उससे उम्मीद की जाती है की वह आपसे अच्छा व्यवहार करे प्रत्युत्तर भी न दे आपकी गलतियों को नजरअंदाज करता रहे
और आपसे प्रेम करे आपका आदर करे ऐसा कैसे हो सकता है???
जितनी आसान यह बात होती है असल में उतनी आसान होती नही है।
उस व्यक्ति का तड़पना,टूटना,बिखरना,आसुओं का सैलाब हो जाना,खुशी के पलो को नजरअंदाज कर देना ये सब भूल जाना क्या इतना आसान है???
हां माफी रिश्ते को आगे बढ़ाने का मौका जरूर देती है,
माफ करने से किसी व्यक्ति के भीतर के घुटन,दुख,दर्द कुछ कम जरूर होते है।
हालांकि वक्त हादसो की गहरी घाटी को भरने में कामयाब होता जरूर है
लेकिन कौन होगा जो किसी भी हादसे को भूल जाए,
लेकिन हां अब उसका दिल इस विषय में दुख और अवसाद से जरूर निकल जाता है।
फिर भी हादसे याद आने पर चर्चा तो होती ही है,कुछ देर के लिए सही एक टीस होती ही है।
हर व्यक्ति प्रण ले कि ऐसे हालात ही न बने,
किसी को धोखा न दे,किसी को अपमानित मत करे,किसी को चोट मत पहुंचाए।
ऐसा कभी न करे की आप बुरी याद बन जाए,ऐसा न हो की किसी का जीवन आपके कारण नर्क बन जाए।
और कही ऐसा न हो की उसकी बददुआए आपको लग जाए।
रिश्तों में थोड़ी गुंजाइश रहने दीजिए,
प्यार को रिश्तों से मिन्नते न करनी पड़े।
क्योंकि जहां प्रेम होता है वहां नफरत के लिए कोई जगह नही होती
वहां ये सब बिल्कुल नही होता,
वहां तो मेलमिलाप होता है,त्याग समर्पण होता है,वहां सहन,सहम,नाराजगी गाली गुफ्तार नही होती।
बल्कि वहां तो खिलखिलाहट,हंसी मजाक, एक दूसरे का सम्मान करना, एक दूसरे को समझना,परवाह देखभाल होती है।
देखिए कही हम भी तो किसी को चोटिल नही कर रहे,कही हममें तानाशाही की आदत तो नही
कही हम भी किसी को अपमानित और निंदित तो नही कर रहे।किसी के जीवन को बेरंग तो नही कर रहे।
प्रेम सभी बातो का समाधान है,माफी मांगकर फिर वही गलती दोहराना अनुचित है।
आइए अपने और औरों के जीवन को प्रेम से आगे बढ़ाएं हंसे और औरों को भी हंसाए, जीये और औरों को भी जीना सिखाए।
प्रेममणी
एसलीना सिमरन
नागपुर महाराष्ट्र