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मेरे ख्वाबों का आसमान — डॉ मीरा कनौजिया

 

मेरे ख्वाबों का आसमान था,
कि ससुराल से ट्रांसफर होकर के मेरे पतिदेव केंद्रीय विद्यालय में पोस्टेड थे कानपुर आ गए।
छोटे-छोटे बच्चे थे मेरे। हाई स्कूल में शादी होने के बाद 24 वर्ष की उम्र में मेरे चार बच्चे हो गए ,छोटे-छोटे बच्चे थे ,पतिदेव ने कहा कि अब आपको पढ़ाई स्टार्ट करनी चाहिए।
मुझको भी अच्छा लगा कि हम अपना भविष्य निर्धारण ,अपने बच्चों को अच्छे से पढ़ाकर , हम भी केंद्रीय विद्यालय में आ जाएंगे।दाखिला करा दिया मेरे हस्बैंड ने रेगुलर कॉलेज में।

मैंने बी. ए.” एम .ए. करने केबादमैं चली गई रीजनल कॉलेज b.ed करने।
फिर घर आ गई, पी एच डी में दाखिला ले लिया, पीएचडी भी करतीरही।
कुछ ही दिन में बैठी थी, और केंद्रीय विद्यालय की रिक्तियां निकली और मैंने अप्लाई कर दिया चार जगह।
बड़ी ही उत्साह उमंग मेरे मन में ,केंद्रीय विद्यालय संगठन में आने की थी, क्योंकि पतिदेव भी उसमें थे, बच्चे भी उसी में पढ़ाई कर रहे थे।।
छोटा बच्चा 1 साल का था किसी तरह ही हमने परेशानियों को झेलते हुए यह कार्य पूर्ण किया।
सभी जगह हमने इंटरव्यू दिया और थोड़े दिनों में चारों जगह से मेरे चयन होने का परिणाम भी आ गया । चार रीजन में सेलेक्ट हो गई।।
अपार प्रसन्नता हुई मेरी मेहनत रंग लाई ,तब से मैं बराबर केंद्रीय विद्यालय संगठन में पोस्टेड हूं। पीएचडी भी मेरी पूरी हो गई। कहते हैं कि सार्थक संघर्ष ही,सार्थक परिणाम लाताहै।

यह ख्वाबों का आसमान मेरा मेरे संघर्ष की गाथा को व्यक्त करता है ,जिसको कि हमारे पति देव का मुझे पूर्ण आश्रय प्राप्त हुआ और पूर्ण रूप से मैंने अपने ख्वाब को पूरा किया।

मन की उमंग
दृढ़ निश्चय
आत्मविश्वास
सार्थक परिश्रम
ने हीं मुझे खुशियां प्रदान की,और मेरा ख्वाब पूरा हुआ।

डॉ मीरा कनौजिया काव्यांशी

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