महिला काव्य मंच जयपुर इकाई की मासिक काव्य गोष्ठी सफलता पूर्वक संपन्न

नम्रता शर्मा / नजर इंडिया 24
जयपुर– महिला काव्य मंच की जयपुर इकाई की मासिक काव्य-गोष्ठी कल दिनांक 28 फरवरी 2025 को प्रदेश अध्य्क्ष सुनीता अग्रवाल की अध्यक्षता, जिला अध्य्क्ष नम्रता शर्मा के संयोजन एवं जिला सचिव मीता जोशी के सुन्दर संचालन में सफलतापूर्वक संपन्न हुई। वैसे तो फागुन का ही रंग अधिकतर काव्य रस से बरस रहा था लेकिन सम सामयिक विषयों पर भी लेखनी ने अपने रंग बिखेरे।
गोष्ठी का प्रारंभ नम्रता शर्मा की सरस्वती वंदना एवं मीता जोशी के ध्येय गीत से हुआ।
राव शिवराज ने ‘वैसे तो होली, कई बार होली।’ नीता भारद्वाज – ‘ए इंद्र धनुष तेरे सातों रंग अपनी-अपनी पहचान रखें, रंगों के इस त्यौहार में हम कैसे फागुन तेरा मान रखें।’
विनीता लवानिया-‘सखी आई बसंत बहार।’अर्चना सिंह ‘अना’ ने ‘फागुन के दिन आए।’ललिता भोला-‘लिख-लिख पाती बाँचू, पूनम री रात जी।’ सरोज पालीवाल ने-‘गौरा जी सज रही मंडप द्वार
मैया जी सज रही मंडप द्वार।’आ.मधु झुनझुनवाला- ‘रंग फाग का बिखरा नभ में, क्षितिज हुआ कचनार,
कानन-कानन महुआ महके, मस्ती भरे अपार।।’
जोगीरा सारा रा-र- रा।
जोगीरा सारा रा- रा- रा।।
अनुराधा माथुर -‘नारी तू नारायणी बन आज, छोड़ निर्बलता सबल बन साज।’ निशा बुधे झा निशामन-‘ये गेहूँ की बाली खेतों में लहराई, देख हवा बसंती पग -पग चली आई।’
निशु दुबे-‘जीवन जीने का नाम है,चाहे सुख हो या दुख हो।’ कंचनजी- ‘चाय केवल पेय पदार्थ नहीं।’मीता जोशी-‘शब्दों से न आके कोई शख्सियत मेरी’।नम्रता शर्मा ने ‘रंग का शृंगार किये नाच रहे नर-नार, चंग की तरंग पर झूम रहे द्वार-द्वार।’
सुनीता अग्रवाल- ‘खुदा का प्रतिरूप कुछ बदलने सा लगा है आधुनिकता का रंग माँ पर भी चढ़ने लगा है।’ सुनाकर काव्य गोष्ठी को शीर्षता प्रदान की। कुल 16 कवि/कवयित्रियों की इस काव्य गोष्ठी में काव्य की विभिन्न विधाओं एवं रसों ने अपने-अपने शब्द रूपी रंग बिखेरे।
अगले माह फिर मिलने की मधुर आस के साथ सबने विदा ली। इस तरह गोष्ठी का सुन्दर-सफल समापन हुआ।