मोबाइल का भूत — रश्मि मृदुलिका

शुभम के पास मोबाइल है उसके मामा लेकर आये है माँ मुझे भी चाहिए’ आशीष सुबह से ही जिद्द पर अड़ा था| माँ समझाकर थक गई थी लेकिन उस पर तो जैसे भूत सवार था| शाम को पिता काम से घर आये, उन्होंने देखा आशीष मुंह फुलाए बैठा है, ‘बेटा, क्या हुआ? ‘ माँ ने सारी कहानी बताई,
उन्होंने कहा ‘देखों बेटा अभी तुम छोटे हो, तुम्हे मोबाइल की क्या जरूरत,’ शुभम ने तपाक से कहा, पापा, मोबाइल से होमवर्क करने में आसानी होती है| बहुत सारे एप होते हैं जिससे प्रोजेक्ट बनाने में मदद मिलती है|’
अगर ऐसी बात है तो तुम अपनी माँ के फोन से काम कर सकते हो, शाम को मेरा फोन ले सकते हो, इसके लिए अलग से मोबाइल की क्या जरूरत है| वैसे भी मेरे पास इतने पैसे नहीं है बेटा, पिताजी ने कहा| आशीष चुप हो गया, लेकिन उसकी नाराजगी कम नहीं हुई, उसे लग रहा था कि मेरे माता पिता मुझे प्यार नहीं करते|
जब शुभम अपने मोबाइल का रोब दिखाता और बाकी दोस्त उसके आगे पीछे घुमते तब ऊसका गुस्सा और बढ़ जाता|
जब भी मां का फोन लेता तो चिढ़ कर सुनाता, देख लो , मेरा फोन होता तो और मदद मिलती, माँ कहती, मोबाइल से पढ़ाई नहीं होती, थोड़ा बड़ा हो जायेगा तो दिला देगें|
दो महीने बाद परीक्षाएं शुरू हो गई|उसने अच्छी तरह परीक्षाएं दी, रिजल्ट आने पर उसने देखा कि शुभम फेल हो गया है उसे आश्चर्य हुआ, उनसे पूछा, अरे तुम्हारे पास इतना अच्छा फोन था, जिससे तुम सारा काम करते थे, फिर कैसे फेल हो गए, वह रोते हुए बोला, यार, आधा टाइम तो मैं गेम खेलता था|
शुभम का एक साल खराब हो गया था, और फोन भी छीन लिया गया| उसके माता पिता दुखी थे, जबकि वह अच्छे नम्बरों से पास हुआ था| माँ पिताजी दोनों बहुत खुश थे| मास्टर जी ने उसकी बहुत तारीफ की, उसने सोचा, अच्छा ही हुआ जो उस दिन पापा ने मुझे फोन नहीं दिलाया, वरना आज मैं भी पिछली कक्षा में ही बैठा होता,अब उसके मन से मोबाइल का भूत उतर चुका था|
रश्मि मृदुलिका